नागपुर की घटना है। कृष्ण माधव
घटाटे गुरु जी मा. स. गोलवरकर को कार में कहीं ले जा रहे थे।
कार पटवर्धन मैदान के निकट चौराहे के पास पहुँची। यह चौराहा
काफ़ी छोटा है।
उस समय चौराहे पर यातायात पुलिस नहीं थी। इसलिए कृष्ण माधव
घटाटे ने चौराहे का चक्कर न लगाते हुए कार को दायीं ओर
मोड़ना चाहा। इस पर गुरु जी एकदम नाराज़ हो उठे ओर कृष्ण
माधव घटाटे को पुन: चौराहे का चक्कर लगा कर ही कार दायीं ओर
घुमाने को विवश किया।
उन्होंने कहा, "कानून का
पालन न करना भीरुता है।" पुलिस की अनुपस्थिति में कानून
तोड़ना कोई साहस की बात नहीं है। हमें कोई देख रहा है अथवा
नहीं इसकी चिंता न करते हुए, हमें व्यक्तिगत अथवा सामाजिक
क़ानूनों का पालन करना ही चाहिए, फिर इसमें हमें कितना ही
कष्ट क्यों न उठाना पड़े। |