हुदहुद,
निसर्ग, फेलीन, निवार, अम्फन... भयानक
तूफान और अजीब अजीव से नाम... न जाने
कितने ऐसे ही नाम आप सुन चुके हैं।
तबाही मचाने वाले तूफानों के नाम कैसे
रख दिए जाते हैं। कौन रखता है इनके
नाम...कैसे तय होता है कि किस चक्रवात
का नाम क्या होगा... हर चक्रवात और
उसका नाम सामने आने के बाद सबके मन
में यह सवाल जरूर उठता होगा। आइए
जानते हैं कि चक्रवातों का नामकरण
कैसे होता है, कौन रखता है इन नामों
को और नाम रखने के पीछे का उद्देश्य
क्या होता है।
कौन जारी करता
है नाम
१९५३ से मायामी नेशनल हरीकेन सेंटर और
वर्ल्ड मेटीरियोलॉजिकल ऑर्गनाइज़ेशन
(डब्लूएमओ) तूफ़ानों और उष्णकटिबंधीय
चक्रवातों के नाम रखता रहा है।
डब्लूएमओ जेनेवा स्थित संयुक्त
राष्ट्र संघ की एजेंसी है। विश्व को
छह विशेष मौसम क्षेत्र में बाँटा गया
है। छह विशेष मौसम क्षेत्र और पाँच
चक्रवाती केंद्र समन्वय बनाकर काम
करते हैं। यह केंद्र चक्रवातों के
संबंध में एडवायसरी जारी करते हैं और
नामकरण भी यही करते हैं। विश्व मौसम
विज्ञान संगठन (WMO) के दिशानिर्देशों
के अनुसार, हर क्षेत्र के देशों को
चक्रवातों के लिए नाम देने होते हैं।
हर देश का मौसम विज्ञान संस्थान ऐसे
नाम सुझाता है। भारतीय मौसम विभाग भी
विशेष मौसम क्षेत्र का केंद्र है। नई
दिल्ली में स्थित यह केंद्र उत्तर
हिंद महासागर यानी बंगाल की खाड़ी और
अरब सागर में उठने वाले तूफान या
चक्रवातों का नामकरण व चेतावनी जारी
करता है। उत्तर हिंद महासागर क्षेत्र
में भारत सहित १३ देश- बांग्लादेश,
भारत, मालदीव, म्यांमार, ओमान,
पाकिस्तान, श्रीलंका, थाईलैंड, ईरान,
कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और
यमन के चक्रवात विशेषज्ञों का पैनल
इनके नाम का निर्धारण करता है।।
चक्रवात विशेषज्ञों का पैनल हर साल
मिलता है और ज़रूरत पड़ने पर सूची फिर
से भरी जाती है।
नामकरण का कारण
आईएमडी (इंडिया मेट्रोलॉजिकल
डिपार्टमेंट) की एक विज्ञप्ति के
अनुसार, तूफानों (उष्णकटिबंधीय
चक्रवात) के नामकरण की प्रथा कई साल
पहले चेतावनी संदेशों में तूफानों की
पहचान में सहायता के लिए शुरू हुई थी।
तूफानों को नाम देने के कुछ विशेष
कारण हैं-
नामकरण के नियम
नाम रखने के भी कुछ नियम और
शर्तें हैं। दो शर्तें प्राथमिक हैं।
नामकरण का इतिहास अटलांटिक में-
१९५३
में अटलांटिक सागर के आस-पास के देशों
ने तूफानों को नाम देना शुरू किया था।
बीबीसी की एक खबर के अनुसार, अमेरिका
ने द्वितीय विश्वयुद्ध के समय
चक्रवातों को महिलाओं का नाम देना
शुरू कर दिया था। १९७८ से आधे
चक्रवातों के नाम पुरुषों के नाम पर
रखे जाने लगे। अमेरिका हर साल के लिए
२१ नामों की सूची तैयार की जाती है।
हर अक्षर से एक नाम रखा जाता है,
लेकिन Q,U,X,Y,Z को छोड़ दिया जाता है।
अगर साल में २१ से ज्यादा तूफान आते
हैं तो फिर ग्रीक अक्षर जैसे अल्फा,
बीटा, गामा का इस्तेमाल होता है।
तूफानों का नाम तय करने में सम और
विषम का नियम अपनाया जाता है। मतलब
विषम साल में आने वाले तूफानों के नाम
महिलाओं पर, जबकि सम साल में आने वाले
तूफान के नाम पुरुषों के नाम पर होते
हैं।
नामकरण का
इतिहास हिन्द महासागर क्षेत्र में-
वर्ष
२००० में यूएनओ की आर्थिक और सामाजिक
आयोग, विश्व मौसम संगठन ने बैठक कर
नाम रखने का प्रस्ताव दिया था। लेकिन
हिन्द महासागर क्षेत्र में यह
व्यवस्था बनते बनते साल २००४ आ गया,
जब भारत की पहल पर ८ तटीय देशों ने
इसको लेकर समझौता किया। इन देशों में
भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान,
म्यांमार, मालदीव, श्रीलंका, ओमान और
थाईलैंड शामिल थे। जिसमें भारत,
बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, ओमान,
पाकिस्तान, श्रीलंका, थाईलैंड सहित कई
देशों द्वारा बंगाल की खाड़ी व अरब
सागर में उठने वाले चक्रवातों के लिए
नाम रखने का सुझाव दिया गया। अप्रैल
२००० में एक सूची स्वीकृत हुई। अप्रैल
२००० में एक सूची स्वीकृत हुई। इस
सूची में हर देश द्वारा दिए गए १३-१३
नाम सुझाए गए। २५ सालों के लिए बनी इस
सूची को बनाते समय यह माना गया कि हर
साल कम से कम ५ चक्रवात आएंगे। इसी
आधार पर सूची में नामों की संख्या तय
की गयी। इस सूची के हिसाब से तूफानों
का नामकरण शुरू हुआ। इस सूची में हर
देश द्वारा दिए गए १३-१३ नाम सुझाए
गए। २५ सालों के लिए बनी इस सूची को
बनाते समय यह माना गया कि हर साल कम
से कम ५ चक्रवात आएंगे। इसी आधार पर
सूची में नामों की संख्या तय की गयी।
२०१८ में इन देशों के अलावा ईरान,
कतर, सउदी अरब, यूएई और यमन भी पैनल
में शामिल हो गए।
नामकरण की
प्रक्रिया-
पैनल
में शामिल देश नामों की जो सूची देते
हैं। उसको पैनल में शामिल देशों को
अंग्रेजी वर्णमाला के क्रमानुसार
सूचीबद्ध किया जाता है। जैसे वर्णमाला
में सबसे पहले बांग्लादेश का नाम आएगा
तो पहले तूफान का नाम बांग्लादेश
द्वारा सुझाए गए नामों से होगा। इसके
बाद भारत का नाम आता है तो दूसरे
तूफान का नाम भारत द्वारा सुझाए गए
नामों में से होगा। यह क्रम ऐसे ही
चलता रहेगा। २००४ में जब तूफानों को
नाम देने की शुरुआत हुई तो पहले
अंग्रेजी वर्णमाला के अनुसार
बांग्लादेश को ये मौका मिला। उसने
पहले तूफान को ओनिल नाम दिया। इसके
बाद जो भी तूफान आए, उनके नाम
क्रमानुसार तय किए गए। भारतीय मौसम
विभाग (आईएमडी) ने अप्रैल २०२० में
चक्रवातों की नई सूची जारी की थी। नई
सूची में निसर्ग, अर्नब, आग, व्योम,
अजार, तेज, गति, पिंकू और लूलू जैसे
१६० नाम शामिल थे। पिछली सूची का
अंतिम नाम अम्फान था।
तरह तरह के
नाम-
१ दिसंबर २०२१ |