कहानी मक्के की
संकलित
कुछ
थोड़ा और चटपटा खाने की बात हो तो
भुट्टा या मक्का सबसे अच्छा विकल्प
है। खाने में स्वादिष्ट होने के साथ
इसका सेवन सेहत के लिए भी लाभदायक
होता है। विटामिन, खनिज और अन्य
पौष्टिक तत्वों से भरपूर भुट्टा ना
सिर्फ वजन घटाता है बल्कि इससे कई
गंभीर बीमारियों से बचाव होता हैं।
मक्के का
इतिहास
ऐसा माना जाता है कि भुट्टे या मक्के
की फसल भारत की भूमि पर १६०० ई० के
अन्त में ही बोई गई और आज भारत संसार
के प्रमुख मक्का उत्पादक देशों में
शामिल है। प्रसिद्ध भारतीय लेखक कुबेर
नाथ राय अपने निबंध संग्रह दृष्टि
अभिसार में लिखते हैं- "वस्तुतः
तिब्बत मगोलीय के लिये किरात शब्द हाल
ही में चालू हुआ है। कछ दिन पहले तक
वह भोट ही कहा जाता था। अतछ भोट शब्द
से एक विस्तृत अर्थ का बोध होता है।
यह बोध वर्तमान भूटान की भौगोलिक सीमा
से कहीं अधिक व्यापक है। इतिहासकारों
का मत है कि भुट्टा का आविष्कार भोट
देश की जंगली घाशों से हुआ। अतः इसका
नाम भोट या भुट्टा पड़ा।"
पाश्चात्य देशों में पुरातत्व
वैज्ञानिकों ने मक्का की ४० आधुनिक
किस्मों के जीनोम सिक्वेंस और करीब एक
हजार साल पुराने ९ पुरातात्विक मक्के
के नमूनों का विश्लेषण करने के साथ ही
६८ आधुनिक और दो प्राचीन मक्का के
जीनोम का विश्लेषण किया। इस सबसे वे
इस परिणाम तक पहुँचे कि मक्का को खेती
में शामिल करने की प्रक्रिया लगभग
९००० साल पहले दक्षिण मध्य मेक्सिको
की बालसास नदी घाटी में हुई थी। यह
स्थान मेक्सिको सिटी के दक्षिण में
है। बाद में मक्का यहीं से अमेरिका के
दूसरे हिस्सों में गया। मक्के की
जंगली पूर्वज एक घास है जिसे
टेयोसिंटे कहते है। मक्के को खेती में
शामिल करने की एक दूसरी अहम प्रक्रिया
भी ६५०० साल पहले चली थी। यह
प्रक्रिया दक्षिण पश्चिम अमेजन के
इलाके में चली, जिसका विस्तार ब्राजील
और बोलिविया तक था और जिस दौरान यह
हुआ, उस वक्त मेक्सिको वाली प्रक्रिया
भी अभी चल ही रही थी। मक्का या मकई
वैश्विक फसल तब बनी जब करीब ५०० साल
पहले यूरोपीय लोग अमेरिका पहुँचे।
लेकिन एक भारतीय विचार यह भी है कि
तिब्बत और मंगोलीय प्रदेश जिनका एक
नाम भोट भी है, भुट्टे के जन्मस्थल
हैं। भोट देश की जंगली घास से भुट्टे
का आविष्कार हुआ इसीलिये इसका नाम
भुट्टा पड़ा।
मक्के के
रासायनिक तत्व
१००
ग्राम मक्की में ८६ कैलोरी, १% फैट,
०% कोलेस्ट्रॉल, १५ मिलीग्राम सोडियम,
७% पोटेशियम, ६% कार्बोहाइड्रेट, १०%
डाइटरी फाइबर, ३.२ ग्राम शुगर, ६%
प्रोटीन, ११% विटामिन सी, १%
कैल्शियम, २% लौह, ५% विटामिन बी-६ और
९% मैग्नीशियम होता है। इसके अलावा
में एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी
इन्फ्लामेट्री जैसे गुण भी पाए जाते
हैं, जो कई बीमारियों से बचाते हैं।
भुट्टे के बाल मोटापे से छुटकारा
दिलाने में सहायक हो सकते हैं। शरीर
में वॉटर रिटेंशन और विषाक्त पदार्थों
के जमने की वजह से कुछ लोग मोटापे से
ग्रसित हो जाते हैं। भुट्टे के बाल इन
चीजों को शरीर से बाहर निकालने में
मदद करते हैं और इससे वजन घटने की
प्रक्रिया बढ़ती है। भुट्टे के बाल का
प्रयोग उबालकर किया जाता है लेकिन
इसके प्रयोग के पहले विशेषज्ञ की राय
आवश्यक है।
स्वस्थ्य रहने और दैनिक चयापचय के
लिए कैलोरी की आवश्यकता होती है।
भुट्टा केवल कैलोरी ही प्रदान नहीं
करता है बल्कि विटामिन ए, बी, ई और कई
खनिजों का समृद्ध स्रोत भी है। साथ ही
साथ भुट्टे में वसा, प्रोटीन,
कार्बोहाइड्रे भी होते हैं। इसमें
फाइबर की अच्छी मात्रा होती है जो
कब्ज, बवासीर और आँतों के कैंसर जैसे
पाचन रोगों की रोकथाम करने में मदद
करते हैं। मक्का में उपस्थित
एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-कैंसरजन्य एजेंट
के रूप में भी कार्य करते हैं और
अल्जाइमर जैसे मानसिक रोग को रोकने
में मदद करते हैं। इसमें काफी मात्रा
में बीटा-कैरोटीन और विटामिन ए होता
है जो आँखों की हर समस्या को दूर रखता
है।
मक्के के लाभ
मक्के या भुट्टे में भरपूर डाइटरी
फाइबर होता है, जो पाचन को बढ़ावा
देता है और कब्ज जैसी समस्याओं से
बचाता है। शाम की छोटी भूख के लिये
मक्के का सलाद या उबले हुए स्वीट
कॉर्न का मजा ही कुछ और है। कुछ लोग
भुट्टे को आग पर भूनकर खाना ज्यादा
पसंद करते हैं। ऐसा माना जाता है कि
भुने हुए भुट्टे में एंथैथोजेनिक
प्रभाव होते हैं जो कोलेस्ट्रोल के
स्तर को कम करने में सहायता करते
हैं। इस प्रकार यह हृदय रोगों से
हमारी रक्षा करता है। भुना हुआ भुट्टा
दिल के स्वास्थ्य के लिए बहुत
फायदेमंद होता है क्योंकि इसमें
ओमेगा-३ फैटी एसिड बहुत ही अच्छी
मात्रा में होता है जो खराब
कोलेस्ट्रोल को हटा कर धमनियों को
अवरुद्ध होने से रोकता है इस कारण यह
रक्तचाप और दिल के दौरे की संभावना
को नियंत्रित करता है। मक्की में
विटामिन सी, कैरोटेनॉइड और फाइबर होता
है, जो शरीर में कोलेस्ट्रोल को कम
करके रक्त कोशिकाओं को साफ करता है और
हृदय को सही तरह से काम करने में मदद
करता है। साथ ही यह ब्लड शुगर को भी
कंट्रोल में रखता है।
मक्के
में विटामिन बी १२, आयरन और फोलिक
एसिड होता है, जो लाल रक्त कोशिकाओं
के उत्पादन में मदद करता है। इसके
सेवन शरीर में खून की कमी को पूरी
होता है। मक्का एनर्जी बूस्टर का काम
करता है और शरीर को दिनभर काम करने के
लिए ऊर्जा देता है। इसमें उपस्थित
जटिल कार्ब्स होते हैं, जो शरीर को
लंबे समय तक ऊर्जा प्रदान करते हैं।
इसमें उपस्थित विटामिन सी और लाइकोपीन
त्वचा को यू वी किरणों से सुरक्षा
प्रदान करते हैं। यह मुंहासों के
निशान को कम करने में भी सहयोग करते
हैं। इसमें काफी कैलोरी होती है,
जिससे वजन घटाने में मदद मिल सकती है।
वजन बढ़ाने के लिए इसे दिन में तीन
बार इसका सेवन की सलाह दी जाती है
लेकिन अगर आप वजन घटाना चाहते हैं तो
सिर्फ सुबह के नाश्ते में ही इसका
प्रयोग करें। इससे पेट भरा-भरा रहता
है, और जल्दी भूख नहीं लगती।
ध्यान रखने योग्य बातें-
आयुर्वेद के अनुसार भुट्टे का सेवन
करते समय यह ध्यान रखना चाहिये कि
भुट्टा खाने के बाद पानी पीने का एक
लंबा अंतराल होना जरूरी है। भुट्टे के
मौजूद कार्बोज और स्टार्च पानी से मिल
कर गैस पैदा करने लगते हैं। फाइबर
ज्यादा होने से पानी के ऊपर ये तैरने
लगता है और यही कारण है कि पेट में
गैस बनना शुरू हो जाती है। कई बार यह
गैस कहीं भी अटक जाती है जिससे
एसिडिटी, पेट फूलना और पेट में ऐठन के
साथ उल्टी जैसी शिकायत भी हो सकती है।
इसलिये भुट्टा चाहे भुना खाएँ या उबला
उसे खाने से पहले भी बहुत पानी न पिएँ
और खाने के बाद तो बिलकुल पानी न
पिएँ। लगभग १ घंटे बाद पानी पीना उचित
रहता है। इस प्रकार भुट्टा खाने का
असली आनंद लिया जा सकता है।
भुट्टे का आनंद
मध्यप्रदेश में इंदौर जिले में एक शहर
है- साँवेर। यहाँ पर भुट्टे को सेंककर
खाने की अद्भुत परंपरा है। भुट्टे के
बिना साँवेर का इतिहास अधूरा लगता है
। सांवेर बायपास रोड के दोनों किनारों
पर लगी दुकानों में गरमा-गरम धधकते
अंगारों पर पकते स्वादिष्ट भुट्टों का
जायका लिए बिना यहाँ से कोई नहीं
गुजरता । संत, नेता, अभिनेता, अफसर,
उद्योगपति, समाजसेवी, कावड़यात्री व
अन्य कोई भी व्यक्ति हो यहाँ के
भुट्टे का स्वाद लिए बिना आगे नहीं
बढ़ सकते । साल के ३६५ दिन यहाँ
भुट्टे का मेला लगा रहता है । कई
यात्री तो यहाँ तक कहते है कि आप
साँवेर से गुजरे और भुट्टे नहीं खाए
तो समझो आपकी यात्रा अधूरी है। कई
श्रद्धालु यहाँ से कच्चे भुट्टे लेकर
जाते है, और महाकाल को चढ़ाते हैं।
वर्षा के मौसम में तो भुट्टों के
दीवानों की यहाँ भीड़ लगी रहती है, कई
लोग भीगते भी है साथ में भुट्टे का
मजा भी लेना नहीं भूलते।
रोचक तथ्य-
१ सितंबर २०२० |