जादू की छड़ी
इला प्रवीण
एक रात की
बात है शालू अपने बिस्तर पर लेटी थी। अचानक उसके कमरे की खिडकी
पर बिजली चमकी। शालू घबराकर उठ गई। उसने देखा कि खिडकी के पास
एक बुढिया हवा मे उड़ रही थी। बुढ़िया खिडकी के पास आइ और बोली
``शालू तुम मुझे अच्छी लड़की हो। इसलिए मैं तुम्हे कुछ देना
चाहती हूँ।'' शालू यह सुनकर बहुत खुश हुई।
बुढिया ने शालू को एक छड़ी देते हुए कहा ``शालू ये जादू की
छड़ी है। तुम इसे जिस भी चीज की तरफ मोड़ कर दो बार घुमाओगी वह
चीज गायब हो जाएगी।'' अगले दिन सुबह शालू वह छड़ी अपने स्कूल
ले गई। वहा उसने शैतानी करना शुरू किया। उसने पहले अपने समने
बैठी लड़की की किताब गायब कर दी फिर कइ बच्चों की रबर और
पेंसिलें भी गायब कर दीं। किसी को भी पता न चला कि यह शालू की
छड़ी की करामात है।
जब वह घर पहुँची तब भी उसकी शरारतें बंद नही हुई। शालू को इस
खेल में बडा मजा आ रहा था। रसोई के दरवाजे के सामने एक कुरसी
रखी ती। उसने सोचा, ``क्यों न मै इस कुरसी को गायब कर दूँ।
जैसे ही उसने छडी घुमाई वैसे ही शालू की माँ रसोइ से बाहर निकल
कर कुरसी के सामने से गुजरीं और कुरसी की जगह शालू की माँ गायब
हो गईं।
शालू बहुत घबरा गई और रोने लगी। इतने ही में उसके सामने वह
बुढिया पकट हुई। शालू ने बुढिया को सारी बात बताई। बुढिया ने
शालू से कहा `` मै तुम्हारी माँ को वापस ला सकती हू लेकिन उसके
बाद मै तुमसे ये जादू की छडी वापस ले लूगी।''
शालू बोली ``तुम्हे जो भी चाहिए ले लो लेकिन मुझे मेरी माँ
वापस ला दो।'' तब बुढिया ने एक जादुई मंत्र पढ़ा और देखते ही
देखते शालू की माँ वापस आ गई। शालू ने मुड़ कर बुढ़िया का
शुक्रिया अदा करना चाहा लेकिन तब तक बुढ़िया बहुत दूर बादलों
में जा चुकी थी। शालू अपनी माँ को वापस पाकर बहुत खुश हुई और
दौडकर गले से लग गई।
१ फरवरी
२००११
जुलाई २००२ |