एक बूढ़ी औरत
दावत के लिए जलेबी बना रही थी। जलेबी की महक पाकर एक लोमड़ी
वहाँ आ पहुँची।
"भाग भाग, लोमड़ी," महिला ने बेलन से डराते हुए कहा। लोमड़ी
पीछे हट गई।
"मैं बस देखना चाहती थी, लोमड़ी ने कहा, "मैं तुम्हें जलेबियाँ
तलते हुए देखना चाहती हूँ।"
जलेबियों को बड़ी करछुल से छानते हुए बुढ़िया ने सख्ती से कहा,
"तुम जब तक चाहो देख सकती हो, लेकिन एक भी जलेबी तुम्हें मिलने
वाली नहीं।"
जैसे ही उसने जलेबियों को चाशनी से निकालकर परात में रखा, एक
जलेबी बाहर उछल पड़ी। महिला ने जलेबी को उठाने की कोशिश की,
लेकिन जलेबी तेजी से लुढ़कती हुई आगे बढ़ गयी।
"मुझे मत रोको। मैं दुनिया देखना चाहती हूँ।” जलेबी ने घर से
बाहर भागते हुए कहा।
लोमड़ी भी जलेबी के पीछे दौड़ी।
महिला बेलन लेकर लोमड़ी के पीछे भागी।
लेकिन जलेबी और लोमड़ी की गति बुढ़िया से बहुत तेज थी, इसलिये
बुढ़िया ने हार मान ली।
"दोस्त, मेरी प्रतीक्षा करो," लोमड़ी ने साँस के लिए हाँफते
हुए जलेबी से कहा।
"जलेबी ने बिना रुके दौड़ते हुए कहा, "मैं इंतजार नहीं कर
सकती," मैं दुनिया देखना चाहती हूँ।
जलेबी तेजी से सड़क पर दौड़ रही थी और लोमड़ी कुछ ही दूर पर
पीछे-पीछे।
सड़क जंगल से होते हुए एक नदी पर जा रुकी। जलेबी भी अचानक ठहर
गई।
"मैं नदी पार करने में तुम्हारी मदद कर सकती हूँ," लोमड़ी ने
कहा।
जलेबी ने मदद स्वीकार कर ली क्योंकि वह नदी के दूसरी ओर की
दुनिया देखना चाहती थी। वह लोमड़ी की पीठ पर चढ़ गई।
जैसे ही लोमड़ी ने पानी में प्रवेश किया, जलेबी ने चिल्लाकर
कहा, "सम्हलकर चलना मुझे पानी से डर लगता है।"
"डरने की कोई जरूरत नहीं है," लोमड़ी ने तैरते हुए आश्वासन
दिया, "तुम मेरी पीठ पर सुरक्षित हो।"
नदी के आधे रास्ते में, जलेबी ने पानी को ऊपर उठते हुए पाया।
"दोस्त लोमड़ी," वह चिल्लाई, "पानी बढ़ रहा है। कुछ करो। मुझे
पानी से डर लगता है।"
"बस थोड़ा ऊपर जाओ, पानी तुम्हें छूएगा नहीं," लोमड़ी ने
आश्वासन दिया।
जलेबी ऊपर चली गई। लेकिन ऐसा लग रहा था कि पानी अभी भी बढ़ रहा
है। जलेबी लोमड़ी की गर्दन पर और ऊपर चढ़ गई।
"दोस्त लोमड़ी," जलेबी चिल्लाई, "पानी अभी भी बढ़ रहा है।"
"मेरे सिर पर बैठो। तुम वहाँ सुरक्षित रहोगी," लोमड़ी ने
आश्वासन दिया।
जलेबी लोमड़ी के सिर पर चढ़ गई। तभी लोमड़ी थोड़ी डूबी। जलेबी
अपना संतुलन खो बैठी। जैसे ही वह लुढ़की, लोमड़ी ने अपना मुंह
खोला और जलेबी उसके अंदर गिर गई! लोमड़ी इसी पल का इंतजार कर
रही थी। वह कुछ देर जलेबी को अपने मुँह में रखना चाहती थी।
जलेबी हताश थी। उसने मदद की तलाश की। तभी वहाँ से एक मछली
तैरती हुई गुजरी। जैसे ही लोमड़ी जलेबी को निगलना चाहा, वह
कूदकर तैरती हुई मछली की पीठ पर जा टिकी। मछली तेजी से तैरती
हुई दूर निकल गयी।
मछली जलेबी को दूसरे किनारे पर ले गई। जलेबी ने किनारे पर कूद
कर मछली को धन्यवाद दिया।
"अपना ध्यान रखना, जलेबी," मछली ने कहा। "जाओ और दुनिया को
देखो।" |