दोस्ती
कहानी - प्रमिला गुप्ता
शहर से दूर
जंगल में एक पेड़ पर गोरैया का जोड़ा रहता था। उनके नाम थे,
चीकू और चिनमिन। दोनो बहुत खुश रहते थे। सुबह सवेरे दोनो दाना
चुगने के लिये निकल जाते। शाम होने पर अपने घोंसले मे लौट
जाते। कुछ समय बाद चिनमिन ने अंडे दिये।
चीकू और चिनमिन की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। दानों ही बड़ी
बेसब्री से अपने बच्चों के अंडों से बाहर निकलने का इंतजार
करने लगे। अब चिनमिन अंडों को सेती थी और चीकू अकेला ही दाना
चुनने के लिये जाता था।
एक दिन एक हाथी धूप से बचने के लिये पेड़ के नीचे आ बैठा।
मदमस्त हो कर वह अपनी सूँड़ से उस पेड़ को हिलाने लगा। हिलाने
से पेड़ की वह डाली टूट गयी, जिस पर चीकू और चिनमिन का घोंसला
था। इस तरह घोंसले में रखे अंडे टूट गये।
अपने टूटे अंडों को देख कर चिनमिन जोरों से रोने लगी। उसके
रोने की आवाज सुन कर, चीकू और चिनमिन का दोस्त भोलू -- उसके
पास आये और रोने का कारण पूछने लगे।
चिनमिन से सारी बात सुनकर उन्हें बहुत दुख हुआ। फिर दोनो को
धीरज बँधाते हुए भोलू -- बोला, "अब रोने से क्या फायदा, जो
होना था सो हो चुका।"
चीकू बोला, "भोलू भाई, बात तो तुम ठीक कर रहे हो, परंतु इस
दुष्ट हाथी ने घमंड में आ कर हमारे बच्चों की जान ले ली है।
इसको तो इसका दंड मिलना ही चाहिये। यदि तुम हमारे सच्चे दोस्त
हो तो उसको मारने में हमारी मदद करो।"
यह सुनकर थोड़ी देर के लिये तो भोलू दुविधा में पड़ गया कि
कहाँ हम छोटे छोटे पक्षी और कहाँ वह विशालकाय जानवर। परंतु फिर
बोला, "चीकू दोस्त, तुम सच कह रहे हो। इस हाथी को सबक सिखाना
ही होगा। अब तुम मेरी अक्ल का कमाल देखो। मैं अपनी दोस्त वीना
मक्खी को बुला कर लाता हूँ। इस काम में वह हमारी मदद करेगी।"
और इतना कह कर वह चला गया।
भोलू ने अपनी दोस्त वीना के पास पहुँच कर उसे सारी बात बता दी।
फिर उसने उससे हाथी को मारने का उपाय पूछा। वीना बोली, "इससे
पहले की हम कोई फैसला करे, अपने मित्र मेघनाद मेंढ़क की भी
सलाह ले लूँ तो अच्छा रहेगा। वह बहुत अक्लमंद है। हाथी को
मारने के लिये जरूर कोई आसान तरीका बता देगा।
चीकू, भोलू और वीना, तीनों मेघनाद मेंढ़क के पास गये। सारी बात
सुन कर मेघनाद बोला, "मेरे दिमाग में उसे मारने की एक बहुत ही
आसान तरकीब आयी है।
वीना बहन सबसे पहले दोपहर के समय तुम हाथी के पास जा कर मधूर
स्वर में एक कान में गुंजन करना। उसे सुन कर वह आनंद से अपनी
आँखे बंद कर लेगा। उसी समय भोलू अपनी तीखी चोंच से उसकी दोनो
आँखें फोड़ देगा। इस प्रकार अंधा हो कर वह इधर-उधर भटकेगा।
थोड़ी देर बाद उसको प्यास लगेगी तब मैं खाई के पास जा कर अपने
परिवार सहित जोर-जोर से टर्-टर् की आवाज करने लगूँगा। हाथी
समझेगा की यह आवाज तालाब से आ रही है। वह आवाज की तरफ बढ़ते
बढ़ते खाई के पास आयेगा और उसमें जा गिरेगा और खाई में पड़ा
पड़ा ही मर जाएगा।
सबको मेघनाद की सलाह बहुत पसंद आयी। जैसा उसने कहा था, वीना और
भोलू ने वैसा ही किया। इस तरह छोटे छोटे जीवों ने मिल कर अपनी
अक्ल से हाथी जैसे बड़े जीव को मार गिराया और फिर से प्यार से
रहने लगे।
१ मई २००१ |