मीतू की
अध्यापिका ने बताया था कि सांता उसकी पसंद के उपहार लेकर
आएँगे।
"लेकिन सांता को मेरी पसंद कैसे
पता चलेगी?" मीतू ने पूछा।
"बस तुम अपनी पसंद को किसी कागज पर लिखकर तकिये के नीचे रख
देना। दो दिन में सांता
को तुम्हारी पसंद का पता चल जाएगा।"
अध्यापिका ने कहा।
मीतू ने
एक कागज पर अपने मनपसंद उपहार लिखकर तकिये के नीचे रख
दिये। और अगले दिन से उन्हें पाने की प्रतीक्षा करने लगी।
एक रात
उसने सपने में देखा कि सांता उसके लिये उपहार लेकर कमरे
में आए। वह खुश से उछल पड़ी। उसकी नींद खुल गई। सांता उसके
कमरे में थे। उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि सांता चुपचाप
उसके कमरे में आ कैसे गए। उसने ध्यान से देखा अरे ये तो
दादाजी थे। सांता बनकर उसके लिये उपहार लाए थे। मीतू उछलकर
दादा जी की गोद में चढ़ गई।
- पूर्णिमा वर्मन |