शहर में
अलादीन आया है। कुछ दिन पहले डोरा आई थी, उसके पहले पिंगू
और उसके पहले बार्नी आया था। गीता और मीता सबसे मिलने जाती हैं।
सबके साथ फोटो खिंचवाती हैं और फोटो घर में लाकर दीवार पर
सजा देती हैं। इस बार भी माँ छुटकू भालू
को भी अलादीन से मिलाने ले गईं। सबने अलादीन का नाटक देखा,
उससे बातें कीं। बड़ा अच्छा लगा।
अलादीन
के पास एक उड़ने वाला कालीन है। वह कालीन आसमान में उड़ता
है। जो बच्चे नाटक देखने आते हैं वे अलादीन से मिल सकते
हैं। वे उसके उड़ने वाले कालीन में उड़ भी सकते हैं। सचमुच
में नहीं सिर्फ बच्चों को एक कालीन पर बैठना होता है और
दूर से एक दीदी फोटो खींचती है। फोटो खींचने के थोड़ी देर
बाद बच्चे अपनी उड़ने वाली तस्वीर दीदी से ले सकते हैं।
फोटो खिंचवाने के लिये अलादीन और शहजादी के कपड़े भी मिलते
हैं।
नाटक के
बाद गीता ने शहजादी वाले कपड़े पहने और छुटकू भालू के साथ,
अलादीन के उड़ने वाले कालीन पर बैठकर फोटो खिंचवाई। देखो
तो ! इस फोटो में गीता और छुटकू
भालू कैसे प्यारे लग रहे हैं !
- पूर्णिमा
वर्मन |