गीतू को
बुलबुलों का खेल अच्छा लगता है। कभी कभी वह बगीचे में
बुलबुलों से खेलती है और कभी कभी नहाते समय।
बगीचे
में साबुन वाले पानी को नली से फूँकने पर ढेर से बुलबुले
उड़ते हैं। लेकिन नहाते समय बुलबुले उड़ते नहीं हैं। वे टब
में पानी के खूब ऊपर तक भर जाते हैं और गीतू उसमें छुप
जाती है।
कुछ
बुलबुले उछल-उछल कर टब से बाहर आ जाते हैं। टब थोड़ा ऊँचा
है। उसमें जाने के लिये एक छोटी चौपाई पर चढ़कर जाना होता
है। छोटी चौपाई टब के पास है। चौपाई पीली है। टब गुलाबी और
तौलिया हरे रंग की है। गीतू के नहाने का कमरा नीला है।
गीतू के
पास पानी में खेलने वाले कुछ खिलौने भी हैं। पानी से चलने
वाली चर्खी, एक छोटी नाव, एक छन्नी जिसमें से पानी फुहारे
की तरह गिरता है और कुछ बत्तखें।
जब गीतू
बुलबुलों से खेल लेती है तब माँ उसे नहलाकर, तौलिया से
पोंछकर साफ कपड़े पहना देती हैं।
- पूर्णिमा वर्मन |