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पर्यटन

 महिमा मोना लीसा और लूव्र संग्रहालय की
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– विनोद भारद्वाज 

लूव्र स्थित अथीना की एक मूर्ति

रेनेसां और संगहालयों का जन्म

रेनेसां काल में गिरजाघरों और शाही महलों में धार्मिक तथा राजनीतिक कारणों से महान कलाकारों की कलाकृतियों को सजाया गया था। इसके अलावा अनेक धनी व्यक्तियों ने अपने निजी संग्रह भी बनाए–बढ़ाए। आधुनिक समय की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए यह जरूरी हो गया था कि शाही कला–संग्रह को आम लोगों तक पहुंचाया जाए। महान कलाकृतियां महान राजाओं तक अगर सीमित रह जाएंगी, तो कलाकारों, कला समीक्षकों, छात्रों और आम कलाप्रेमियों को प्रेरणा और जानकारी कहां से मिलेगी। कई ऐसे संग्रह बनाए गए जो कलकारों और कला के छात्रों को सिखाने–पढ़ाने के लिए विकसित किए गए थे।

इटली में ऐसा ही एक प्रसिद्ध संग्रह द मेदीची गार्डेन था जहां मिकेलांजेलो जैसे महान कलाकार ने अपना प्रारंभिक प्रशिक्षण प्राप्त किया था। अठ्ठाहरवीं शताब्दी के अंत में लूव संग्रहालय या ब्रिटेन में उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य में विक्टोरिया ऐंड अल्बर्ट संग्रहालय ने कला के छात्रों की जरूरतों को ध्यान में रख कर ही जन्म लिया था।

समय बदला। मूल्य बदले। निजी संग्रहों को ज़ब्त कर लिया गया या उनका राष्ट्रीयकरण हो गया। पर फ्रांसीसी क्रांति और नेपोलियन की लड़ाइयों ने आधुनिक संग्रहालय की वास्तविक धारणा को विकसित किया। नेपोलियन की सेनाओं ने कई शहरों को जीत कर वहां के कला खज़ानों को अपने कब्ज़े में किया। इससे लूव्र संग्रहालय की नींव पड़ी। धीरे–धीरे कला संग्रहालय राष्ट्रीय गौरव की पहचान बन गये और वहीं दूसरी ओर दुनिया भर की महान कला से गहरे साक्षात्कार का दुर्लभ अवसर प्रेक्षक को मिेलने लगा।

लूव्र का खज़ाना

लूव्र संग्रहालय बहुत बड़ा है और उसके कई हिस्से हैं। ओरिएंटल या मिस्त्र के पुरावशेषों को देखने के लिए ही अच्छा खासा समय चाहिए। मिस्त्र की प्राचीन सभ्यता का प्रामाणिक परिचय पाने के लिए भी लूव्र संग्रहालय प्रसिद्ध है। यूनानी और रोमन पुरावशेषों के भी अद्भुत रूप इस संग्रहालय में देखे जा सकते हैं। 'मीलो की वीनस' लूव्र संग्रहालय का एक अन्य विश्वप्रसिद्ध मूर्तिशिल्प हैं।

लूव्र संग्रहालय के पेंटिंग के संग्रह को विश्व का सबसे 'पूर्ण संग्रह' माना जाता है। संख्या की दृष्टि से यह संग्रह विश्व का नंबर एक संग्रह नहीं हैं पर गुणवत्ता और विविधता की दृष्टि से इसे नंबर एक माना जाता है। स्वाभाविक रूप से इस संग्रह में दो तिहाई हिस्सा फ्रांसीसी चित्रकला का है। पर इटली के महान चित्रकारों की कला के अद्वितीय रूप भी लूव्र में मौजूद हैं। 

मिलो की वीनस

इंग्रे, लियोनार्दो द विंची, राफेल, बोताचेल्ली, वेरोनीस, रूबेंस, रेब्रां, डयूरर, गोया आदि फ्रांस, जर्मनी, इटली, हॉलैंड, स्पेन आदि देशों के सभी महान कलाकारों का प्रतिनिधि काम लूव्र में एक साथ देखा जा सकता है।

लूव्र में एक खंड रेखांकनों का है और मूर्तिशिल्प का भी एक उल्लेखनीय खंड है। एंतोनिओ केनोवा का
मूर्तिशिल्प 'साइक ऐंड क्यूपिड़' या मिकेलांजेलो का 'द डाइंग स्लेव' और 'रिबेल स्लेव' लूव्र के कुछ मास्टरपीस मूर्तिशिल्प माने जाते हैं। 1893 ई• से कुछ बहुमूल्य चीज़ों और फर्नीचर वगैरह का एक अलग खंड बना दिया गया है।

लूव्र सरीखे विश्वप्रसिद्ध संग्रहालयों को देखने और कलाकृतियों का वास्तविक आनंद उठाने के लिए काफी समय चाहिए। पर अगर किसी के पास समय कम है, तो संग्रहालय की दूकान से ऐसी गाइड बुक मिल जाती है जो फौरन आपको कम से कम समय में अधिक से अधिक मास्टरपीस कलाकृतियों का साक्षात्कार करा दे।

'मोनालीसा' सरीखी महान कलाकृतियों की कथा आप टेप से चुपचाप सुनते हुए पेंटिंग की अधिक गहराइयों में भी जा सकते हैं। लूव्र का अंडरग्राउंड ट्यूब स्टेशन कलाकृतियों के सुंदर पोस्टरों से सजा हुआ है। संग्रहालय के भीतर जाने से पहले ही आप संग्रहालय के रस–रंग का मधुर आनंद उठाने लग पड़ते हैं और तैयार हो जाते हैं कला यात्रा का एक अद्भुत अनुभव पाने के लिए।
लूव्र का एक मूर्तिशिल्प कक्ष
(नमस्कार से साभार)
 
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