सितंबर
माह के पर्व
फुलाइच (हिमांचल प्रदेश)
बारिश का मौसम जाते ही उत्तर भारत की पहाड़ियों में शरद
ऋतु की हल्की सर्दी का आगमन होने लगता है। हिमांचल प्रदेश
के किन्नौर नगर में इस समय "फुलाइच" नाम से फूलों का उत्सव
मनाया जाता है जो इस प्रदेश की प्रकृति और परंपरा के
सौन्दर्य का सजीव दृश्य प्रस्तुत करता है। ग्राम्यजन
तलहटियों में फूलों की तलाश करते घूमते हैं और उन्हें
प्रमुख चौराहे पर इकठ्ठा कर देते हैं। इन्हें स्थानीय
देवता को अर्पित किया जाता है।
इसके बाद शुरू होता है
मौज मस्ती का दौर - नाच-गाना और दावत। छम्ब के पास छत्रारि
गाँव में शक्ति देवी के मंदिर के पास मेले में तथा अन्य
स्थानों पर मुखौटे नृत्य
का आयोजन होता है। इसी समय कांगड़ा घाटी में सैर नामक
उत्सव मनाया जाता है। इसमें छोटी छोटी दूकानों और लोकगीतों
के साथ ही शिमला के पास अर्की और मशोबरा में भैसों की
लड़ाई का आयोजन किया जाता है। कांगड़ा में नूरपुर के पास
पुराने किले की दर्शनीय दीवार के नीचे नगीनी मेले द्वारा
गर्मी के मौसम को भाव भीनी विदाई दे दी जाती है।
गणेश
चतुर्थी (महाराष्ट्र, तामिलनाडु, आन्ध्र प्रदेश और
कर्नाटक)
अच्छे काम की शुरुआत और यशप्राप्ति के लिए इस दिन को
सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इस दिन गजमुख गणेश की पूजा की
जाती है। यह वार्षिक उत्सव दस दिन मनाया जाता है। इस दिन
भगवान गणेश के मूर्ति की स्थापना की जाती है और दस दिन
भावभक्ति के साथ पूजा अर्चना की जाती है। दस दिन बाद बड़ी
ही धूमधाम से गणेश मूर्ति का विसर्जन पानी में किया जाता
है। मुम्बई में समुद्र के किनारे विसर्जन के दिन का दृष्य
देखनेलायक होता है।
महाराष्ट्र में यह
त्योहार सार्वजनिक रूप से मनाया जाता है। इस अवसर पर
सांस्कृतिक कार्यक्रम, नाटक और फिल्मों का आयोजन किया जाता
है।
तार्णेतर
मेला
सितम्बर माह में गुजरात के पास सौराष्ट्र में
तार्णेतर नामक स्थान पर एक अत्यंत सजीव और मनोरंजक मेले का
आयोजन किया जाता है। यह मेला त्रिनेत्रेश्वर मन्दिर द्वारा
मनाए जाने वाले अर्जुन और द्रौपदी के विवाह उत्सव का एक
महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। कोली, भारवाड़ और राबड़ी जैसे
आदिवासी लोगों में शादी के लिए उत्सुक लोगों के लिए यह
शादी बाज़ार है। परंपरागत परिधान और गहने पहन कर किए जाने
वाले लोकनृत्य इस मेले का मुख्य आकर्षण होते हैं। यहाँ हाथ
से बनी, कशीदाकारी और आइने से सजी हुयी छतरियाँ खरीदारी का
विशेष आकर्षण हैं जिन्हें एक बार देखने के बाद भुलाया नहीं
जा सकता। |