नवंबर
माह के पर्व
का
पोम्ब्लांग नोंगक्रेम (शिलांग, मेघालय)
मेघालय
के खासियों में मनाया जाने वाला यह पर्व नृत्य संगीत का एक
महत्वपूर्ण आयोजन है जो पाँच दिनों तक लगातार चलता रहता
है। इस समय अच्छी फ़सल के लिए ईश्वर के प्रति कृतज्ञता
व्यक्त की जाती है, धन्यवाद दिया जाता है और वर्ष भर के
लिए सुख व शांति की प्रार्थना की जाती है। अपनी पारंपरिक
वेशभूषा में सुसज्जित मेघालय के निवासी जब हज़ारों की
संख्या में नोंगक्रेम का प्रदर्शन करते हैं तो हिमालय की
इस घाटी का सौन्दर्य व उल्लास देखते ही बनता है।
लखनऊ महोत्सव (लखनऊ, उत्तर प्रदेश)
दस दिन चलने वाले इस त्योहार में उत्तर प्रदेश की राजधानी
लखनऊ शहर में बड़ी ही चहलपहल होती है। रंगबिरंगी
शोभायात्राएं, पारम्पारिक नाट्य अभिनय, लखनऊ घराने का
लोकप्रिय कथक नृत्य, सारंगी और सितार वादन, गज़ल व
कव्वालियों के साथ उत्सव को सजीव बना देते हैं। साथ ही समय
के साथ भूले बिसरे नवाबी समय के खेल जैसे - इक्के की दौड़,
मुर्गोंं की लड़ाई फिर से इतिहास को वर्तमान में ला खड़ा
करते हैं। पतंगबाज़ी तथा अन्य अनेक खेल स्पर्धाएं जहाँ
तहाँ आयोजित होती रहती हैं। उत्तर प्रदेश के उद्योग और
व्यापार में भी इस महोत्सव का महत्वपूर्ण योगदान है।
सोनपुर मेला (सोनपुर, बिहार)
गंगा गंडक और घाघरा के त्रिकोण पर बसे बिहार के सोनपुर नगर
में कार्तिक पूर्णिमा के दिन एशिया का सबसे बड़ा पशु- मेला
आयोजित किया जाता है। एक महीने तक चलने वाले इस मेले में
पशुओं की सजधज और ख़रीद फरोख्त देखते ही बनती है। हर साल
इस मेले में हज़ारों पशु खरीदे और बेचे जाते हैं। इसके
अतिरिक्त मिट्टी के बर्तन और खिलौने, हस्तकला की वस्तुएँ,
हस्त निर्मित वस्त्र और आभूषण इस मेले के प्रमुख आकर्षण
हैं।
दीपावली (सम्पूर्ण भारत)
ज्योति के इस पर्व का सम्पूर्ण भारत में आतुरता से इन्तजार
किया जाता है। भगवान राम के चौदह साल के वनवास के बाद
अयोध्या वापसी की खुशी मे दीवाली मनाई जाती हैं। घरों पर
रंग-ओ-रोगन होता है। नये फर्नीचर, वस्त्रों, गहनों और
बर्तनों की ख़रीदारी की जाती है, पुरानी और टूटी फूटी
चीज़ों की रद्दोबदल की जाती है और दीपावली की रात में घर
आने वाली लक्ष्मी की स्वागत की तैयारी में हर ओर सजावट की
जाती है। रात में लक्ष्मी पूजन के बाद घर बाहर दिये जलाए
जाते हैं, मित्रों और संबधियों में मिठाइयाँ बाँटी जाती
हैं तथा दीवाली की रात, सारी रात जाग कर अलग-अलग खेल खेलकर
मनोरंजन किया जाता है। मिलना मिलाना तथा भेंट और मिष्ठान्न
का आदान प्रदान कई दिनों तक चलता रहता है।
पुष्कर मेला (पुष्कर, राजस्थान)
कार्तिक
महीने में बारह दिन चलने वाला यह मेला सजे धजे पुष्कर के
मैदान में होता है। पशुओं की खरीद-फरोख्त, ऊँट रेस,
चूडियाँ, बर्तन, कपड़े, ऊँट की सवारी में काम आने वाली
वस्तुएँ जैसे गद्दी और उसमें लगाने वाली रस्सी, फुँदने,
घंटियाँ और सजावट के सामानों का आकर्षण व्यापार यहाँ होता
है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन श्रद्धा के साथ पुष्कर के
पवित्र तालाब में डुबकी लगाने और ब्रह्मा के मंदिर में
दर्शन करने की परंपरा हैं।
गुरु परब
सिख धर्म के सबसे पहले गुरु गुरु नानक का जन्मदिन सिख
समुदाय में गुरु परब नाम से बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता
हैं। पूरे भारत में इस दिन गुरुद्वारे में गुरु ग्रंथ
साहिब का अखंड पाठ किया जाता है। उनकी धार्मिक पुस्तक गुरु
ग्रंथ साहिब की शोभायात्रा इस पर्व का एक महत्वपूर्ण भाग
है। गुरु पूर्णिमा नाम से यही पर्व भारत के अन्य भागों में
भी मनाया जाता है।
हम्पी महोत्सव
प्राचीन साम्राज्य विजयनगर की राजधानी का अवशेष नगर हम्पी
नवम्बर का पहले सप्ताह में उस समय पुनर्जीवित हो उठता है
जब यहाँ पर यह नृत्य और संगीत का शास्त्रीय पर्व मनाया
जाता है। |