कुरूक्षेत्र महोत्सव
(कुरूक्षेत्र, हरियाना)
भगवद् गीता के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में गीता जयंती के
रूप में यह महोत्सव मनाया जाता है। भक्तजन ब्रह्मा सरोवर या
सन्नेहित सरोवर में श्रद्धा के साथ स्नान करते हैं। एक हफ्ते
तक चलनेवाले इस महोत्सव में उसी से भगवद कथा, नृत्य, नाटक और
सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं। शाम के समय सरोवर
में दीपदान की परंपरा है।
विष्णुपुर महोत्सव
(विष्णुपुर, पश्चिम बंगाल)
बाँकुरा ज़िले के विष्णुपुर नामक गाँव में २७ से ३१ दिसंबर
तक यह उत्सव मनाया जाता है। यह लघुनगर सिल्क की साड़ियों और
टेराकाटा मंदिरों के लिए प्रसिद्ध हैं। स्थानीय हस्तकलाओं की
बिक्री और शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रम इस महोत्सव के प्रमुख
आकर्षण हैं।
कोनार्क नृत्य महोत्सव
(कोनार्क, उड़ीसा)
सूर्य मन्दिर - सूर्य भगवान के रथ की भव्य प्रतिमा और उसे
खींचनेवाले सात घोड़े, यह एकमेव और सुंदरता का भव्य प्रतीक
कोनार्क के समुद्र किनारे स्थित है। यह ऐसी जगह है जहाँ हर साल
शास्त्रीय संगीत और नृत्य का आयोजन किया जाता है। भारत के
प्रसिद्ध कलाकार यहाँ खुले आसमान के नीचे अपनी कला को प्रस्तुत
करते हैं। घुंघरू, बाँसुरी, पाखावज आदि की गूँज वातावरण में
मधुरता घोल देती है, साथ साथ हस्तकला का प्रदर्शन इस माहौल में
चारचाँद लगा देता है।
ईद-उल-फितर (सम्पूर्ण
भारत)
रमज़ान महीने का अन्त ईद से होता है। रमज़ान महीने में
इस्लाम के अनुयायी दिनभर उपवास रखते हुए धार्मिक अनुष्ठानों को
पूरा करते हैं और रात में ही खाना खाते हैं। यह समय इफ्तारी का
होता है जिसे मिलकर उत्सव की तरह खाने पीने के साथ मनाया जाता
है। ईद का दिन नये कपड़े, गहने, जूते और खुशी मनाने का होता
है। मिठाइयाँ, मिलना जुलना, घर की सजावट और तोहफों का लेन देन
इस पर्व के प्रमुख अंग हैं। |