नायडॉक सप्ताह
और
हिमांशु राय के ऑस्ट्रेलिया से संबंध
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रेखा राजवंशी
जुलाई में ऑस्ट्रेलिया में नायडॉक (NAIDOC) सप्ताह
मनाया गया इस अवसर पर विद्यालयों और समुदाय में
अनेक गतिविधियाँ आयोजित की गई। आइए अपनी डायरी के
इस अंश में बताऊँ कि नायडॉक सप्ताह क्या है और
क्यों मनाया जाता है?
नायडॉक का पूरा नाम नेशनल एबोरीजनल और आईलॅन्डेर्स
ओबेरवैन्स कमेटी (यानि राष्ट्रीय आदिवासी और
द्वीपवासी पर्यवेक्षक समिति) है। जिसकी शुरूआत
१९२० के दशक में हुई जब आदिवासी समूह अपने
अस्तित्व और अधिकारों को लेकर सचेत हुआ, जिसने
ब्रिटिश आगमन और आधिपत्य के बाद आदिवासी और टोरेस
स्ट्रेट आइलैंडर आस्ट्रेलियाई लोगों की स्थिति और
उनके साथ किए जाने वाले व्यवहार को लेकर व्यापक
समुदाय में जागरूकता बढ़ाने की माँग की। १९३८ में
शोक दिवस मनाया गया, जो १९७५ में एक सप्ताह तक
चलने वाला कार्यक्रम बन गया।
राष्ट्रीय नायडॉक सप्ताह समारोह ऑस्ट्रेलिया भर
में हर साल जुलाई के पहले सप्ताह (रविवार से
रविवार) में आयोजित किया जाता है, ताकि आदिवासी और
टोरेस स्ट्रेट आइलैंडर लोगों के इतिहास, संस्कृति
और उपलब्धियों का उत्सव मनाया जा सके। NAIDOC
सप्ताह सभी ऑस्ट्रेलियाई लोगों के लिए प्रथम
राष्ट्र (फर्स्ट नेशंस यानि मूल निवासी)
संस्कृतियों और इतिहास के बारे में जानने और
पृथ्वी पर सबसे पुरानी, निरंतर जीवित संस्कृतियों
के उत्सवों में भाग लेने का एक अवसर है। लोग देश
भर में आयोजित गतिविधियों और कार्यक्रमों के
माध्यम से अपने स्थानीय आदिवासी और/या टोरेस
स्ट्रेट आइलैंडर समुदायों का समर्थन कर सकते हैं
और उन्हें जान सकते हैं।
नायडॉक गतिविधियाँ पूरे ऑस्ट्रेलिया में आयोजित की
जाती हैं, गतिविधियों में स्कूलों और कार्यस्थलों
में सांस्कृतिक और शैक्षिक गतिविधियाँ और
सार्वजनिक प्रदर्शन शामिल हैं। नायडॉक २०२३ का
विषय था 'फॉर आवर एल्डर्स' यानि 'हमारे बुजुर्गों
के लिए' था। नायडॉक सप्ताह की गतिविधियों में
स्वदेशी ऑस्ट्रेलियाई संगीत सुनना, ड्रीमटाइम
कहानियाँ पढ़ना, इंटरनेट पर स्वदेशी ऑस्ट्रेलियाई
वेबसाइटों पर जाना, एक कला प्रतियोगिता आयोजित
करना और सप्ताह से संबंधित ऑस्ट्रेलियाई टेलीविजन
(और उनकी स्ट्रीमिंग सेवाओं) दोनों पर कार्यक्रम
देखना शामिल होता है। टेलीविजन स्टेशन पूरे सप्ताह
कार्यक्रमों, अभिनेताओं और उनके विभिन्न चैनलों पर
विविध कार्यक्रम प्रसारित करते हैं।
बॉम्बे टॉकीज़ के सुप्रसिद्ध फिल्म निर्माता
हिमांशु राय के ऑस्ट्रेलिया से संबंध
आज
की डायरी के पन्नों में आइये आपको बताते हैं कि
बॉम्बे टॉकीज़ के सुप्रसिद्ध फिल्म निर्माता
हिमांशु राय के ऑस्ट्रेलिया से क्या संबंध हैं।
भारतीय सिनेमा के अग्रदूत हिमांशु राय (१८९२ - १६
मई १९४०) और देविका रानी ने १९३४ में स्टूडियो की
स्थापना की थी। वह कई फिल्मों से जुड़े रहे,
जिनमें गॉडेस (१९२२), द लाइट ऑफ एशिया (१९२५),
शिराज (१९२८), ए थ्रो ऑफ डाइस (१९२९) और कर्मा
(१९३३) शामिल हैं। उनका विवाह अभिनेत्री देविका
रानी चौधरी (१९०८-१९९४) से हुआ था। आपको जान कर
आश्चर्य होगा की उनके नाती (बेटी का बेटा) पीटर
डीटज़ मेलबर्न. ऑस्ट्रेलिया में रहते हैं।
मेलबर्न स्थित एक कंपनी के निदेशक, पीटर डीटज़,
अपने तीसवें दशक में थे जब उन्हें यह जानने की
जिज्ञासा हुई कि वे किस भारतीय वंश से हैं।
हिमांशु ने १९२० के दशक का अधिकांश समय इंग्लैंड
और जर्मनी में बिताया, जहाँ उनकी मुलाकात अपनी
पहली पत्नी, नर्तकी और अभिनेत्री मैरी हैनलिन से
हुई। पीटर हिमांशु राय और मैरी हैनलिन की बेटी
नीलिमा के बेटे हैं। हिमांशु और मैरी ने शादी कर
ली, और जर्मनी चले गए और पीटर के अनुसार, मैरी ने
ही हिमांशु को एक प्रमुख जर्मन फिल्म निर्माण
कंपनी यू एफ ओ से परिचित कराया, जहाँ उनकी मुलाकात
जी डब्ल्यू पाब्स्ट और फ्रिट्ज लैंग जैसे प्रसिद्ध
जर्मन निर्देशकों से हुई। यह शायद कई वर्षों तक
जर्मन निर्देशकों और तकनीशियनों के साथ हिमांशु के
लंबे जुड़ाव की शुरुआत थी - जैसे कि फ्रांज ओस्टेन
जिन्होंने बॉम्बे टॉकीज़ के लिए १६ फिल्मों का
निर्देशन किया था या जोसेफ विर्शिंग जो उनमें से
कई के लिए कैमरामैन थे।
हिमांशु राय और मैरी हैनलिन की बेटी नीलिमा जर्मनी
में पली-बढ़ीं और १९५२ में, युवावस्था में
ऑस्ट्रेलिया आ गईं। पीटर ने अपने नाना के जीवन और
काम पर खोजबीन शुरू की तो वे मेलबर्न से भारत,
लंदन, म्यूनिख, बर्लिन और न्यूयॉर्क तक की खोज
यात्रा पर गए। जहाँ उन्होंने हिमांशु और देविका के
स्क्रिप्ट, फ़ोटो, पत्रों और व्यावसायिक
दस्तावेज़ों का एक आकर्षक और दुर्लभ संग्रह खोज
निकाला। पीटर और उनके भाइयों ने डीटज़ फ़ैमिली
ट्रस्ट का गठन किया, और प्रदर्शनी लगाई। प्रदर्शनी
में वे अपने संग्रह और अपने परिवार की कहानी साझा
करते हैं।
१
सितंबर २०२३ |