अभिव्यक्ति में योगेश त्रिपाठी की
रचनाएँ
नाटक
मन में है विश्वास
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योगेश
त्रिपाठी
जन्म (1959)
शिक्षा बघेलखंड के केंद्र
रीवा (म.प्र.) में।
नई पीढ़ी के चर्चित नाटककार
और रंगकर्मी। महायात्रा, थैंक्यू फ्रेस्ट्री, सेल्समैन, चाँद
प्यार नहीं होता, शत्रुगंध आदि अनेक शब्द नाटकों का लेखन। 'होरी',
'बिन बाती के दीप', 'कादंबरी', 'राग दरबारी', 'होइहैं वहि जो
राम रचि राखा', 'प्रलय की दस्तक', 'कालचक्र', 'गबरघिचोर',
'देह तजों कि तजों कुलकानि', 'ताजमहल का टेंडर',
'कोर्टमार्शल', 'छाहुर' आदि नाटकों का निर्देशन। बघेली
नाट्युक्तियों का पहली बार 'होइहैं वहि जो राम रचि राखा' में
और उसके बाद 'गबरघिचोर' में सफलतापूर्वक सृजनात्मक प्रयोग।
बघेलखंड के प्रतिनिधि लोकनाट्य 'छाहुर' का मध्यप्रदेश नाट्य
समारोह में दिनांक 3 अप्रैल 2005 को दमोह में प्रथम मंचन।
बघेलखंड के पारंपरिक नाट्य रूपों के संकलन, अभिलेखन, और
आधुनिक रंगमंच पर इनके सृजनधर्मी प्रयोग से नई नाट्यभाषा और
नाट्युक्तियों की खोज में संलग्न।
महाराज विश्वनाथसिंह कृत
नाटक 'आनंद रघुनंदन' (हिंदी का पहला नाटक) का संक्षिप्त
आधुनिक मंचीय रूपांतरण, सैम्युएल बैक्वेट के सुप्रसिद्ध नाटक
'वेटिंग फॉर गॉड' का बघेली रूपांतरण 'कब अउबे भगवान!', विशेष
रूप से चर्चित।
प्रकाशित नाट्य-पुस्तकें
- 'काग़ज़ पर लिखी मौत' (नाट्य संकलन) 1997
'हस्ताक्षर' 1999 'मुझे अमृता चाहिए' और 'युद्ध' 2004
पुरस्कार-सम्मान -
'काग़ज़ पर लिखी मौत' के लिए रत्नभारती सम्मान
- मुझे अमृता चाहिए के लिए मोहन राकेश सम्मान
- शत्रुगंध को आकाशवाणी महानिदेशालय द्वारा वर्ष 2002 के
सर्वश्रेष्ठ रेडियो नाटक का पुरस्कार।
संप्रति- एक
राष्ट्रीयकृत बैंक में कार्यरत।
संपर्क-
yogeshtripathiplayworld@rediffmail.com
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