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व्यक्तित्व

अभिव्यक्ति में वेद मित्र की रचनायें 

परिक्रमा में
हस्तलिखित पाठों से हिन्दी ज्ञान प्रतियोगिता तक

 

 


वेद मित्र  

जन्म : 5 अगस्त, 1938, लुधियाना (पंजाब)

शिक्षा : मेरठ और लखनऊ में।

पेशे से सिविल इंजीनियर (अभियन्ता), लेकिन दिल है कि हिन्दी लेखन की ओर दौड़ता रहता है।
अभियन्ता की जिम्मेदारियों के कारण बनजारों जैसा जीवन।
उत्तरप्रदेश के उत्तरकाशी, गंगोत्तरी, टिहरी जैसे अगम्य स्थानों से लेकर वाराणसी तक गए और दिल्ली में यमुना तट की छानबीन की, तो बाद में ब्रिटेन के लगभग हर क्षेत्र में सुरंगे बनाने में जीवन खपाते रहे।

प्रकाशित रचनाएं : बच्चों के लिए जीवनियां – 'प्रतिभा के पुत्र' और 'इस माटी के लाल'।
वैज्ञानिक विषयों पर – 'धरती की दौलत', 'दूरबीन की कहानी' ' विज्ञान के झरोखे से' और 'कोई खेत न सूखे'।
'कोई खेत न सूखे' भारत सरकार द्वारा पुरस्कृत हुई। कुछ बाल एकांकी जिनमें से 'अपनी–अपनी दिवाली' और 'राम वनवास' बच्चों द्वारा अभिनीत हुए।
एक शोध प्रबंध : 'संसार के अनोखे पुल'

गत 23 वर्षों से लन्दन में हिन्दी कक्षाएं चला रहे हैं और ब्रिटेन में हिन्दी शिक्षण की समस्याओं की ओर जनता का ध्यान खींचने के लिए ब्रिटेन की हिन्दी और अंग्रेजी पत्र–पत्रिकाओं में आपके लेख आदि समय–समय पर प्रकाशित होते रहते हैं। हिन्दी समिति द्वारा संचालित हिन्दी ज्ञान प्रतियोगिता का संयोजन गत दो वर्षों से कर रहे हैं।
1999 में लन्दन में हुए छठे विश्व हिन्दी सम्मेलन में आपको यूरोप में हिन्दी के प्रचार–प्रसार में योगदान के लिए सम्मानित किया गया। 2003 में तृतीय विश्व हिन्दी सम्मेलन (यूरोप) में आपका आलेख 'हस्तलिखित पाठों से हिन्दी ज्ञान प्रतियोगिता तक – एक लम्बी यात्रा' बहुचर्चित रहा।
 

 
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