अभिव्यक्ति
में
ओशो रजनीश की
रचनाएं
दृष्टिकोण में
फुटबॉलः सभ्य
समाज की हिंसा का निकास
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ओशो रजनीश
जन्म : 11 दिसंबर 1931 को कुचवाडा, मध्य प्रदेश,
भारत।
शिक्षा :1956
में सागर विश्वविद्यालय से दर्शन शास्त्र में
स्नातकोतर उपाधि, प्रथम श्रेणी स्वर्णपदक के साथ। कार्यक्षेत्र
: 1957 में उन्होंने संस्कृत कॉलेज रायपुर में
शिक्षणकार्य शुरू किया। एक साल बाद वे जबलपुर
विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र के प्राध्यापक हो गए।
1966 में उन्होंने यह पद छोड़ दिया ताकि आधुनिक
मनुष्य को ध्यान की कला सिखाने के कार्य में पूरी
तरह समर्पित हो सकें। वे 21 वर्ष की अवस्था में
मार्च 21, 1953 को संबुद्धत्व को प्राप्त हुए, जो
मनुष्य चेतना का सर्वोच्च शिखर है। लगभग चार
दशकों तक यह कार्य संपन्न करते हुए 19 जनवरी 1990 को
पूना में उनका निधन हुआ। ओशो
की पुस्तकें लिखी हुई नहीं हैं बल्कि पैंतीस साल से
भी अधिक समय तक उनके द्वारा दिए गए तात्कालिक
प्रवचनों की
रिकार्डिंग से अभिलिखित हैं। लंदन
के 'संडे टाइम्स' ने ओशो को 'बीसवीं सदी के एक
हज़ार निर्माताओं' में से एक बताया है और भारत के
'संडे मिडडे' ने उन्हें गांधी, नेहरू और बुद्ध के
साथ उन दस लोगों में रखा है जिन्होंने भारत का
भाग्य बदल दिया। |