अभिव्यक्ति
में
फणीश्वरनाथ रेणु की रचनाएँ
गौरव ग्रंथ के अंतर्गत कहानी
ठेस
मारे गए गुलफाम
|
|
फणीश्वर
नाथ रेणु
जन्म : ४ मार्च,
१९२१।
जन्म-स्थान : औराही हिंगना, जिला पूर्णिया, बिहार,
भारत।
हिन्दी कथा-साहित्य में
अत्यधिक महत्वपूर्ण रचनाकार। राजनीति में सक्रिय भागीदारी।
१९४२ के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक प्रमुख सेनानी
की भूमिका निभाई। १९५० में नेपाली जनता को राणाशाही के दमन
और अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिये वहाँ की सशस्त्र
क्रान्ति और राजनीति में जीवंत योगदान।
१९५२-५३
में दीर्घकालीन रोग ग्रस्तता के बाद साहित्य की ओर अधिक
झुकाव। १९५४ में पहला उपन्यास 'मैला आँचल' प्रकाशित और
बहुचर्चित। कथा साहित्य के अतिरिक्त संस्मरण, रेखाचित्र और
रिपोर्ताज आदि विधाओं में भी लिखा। जीवन के संध्याकाल में
राजनीतिक आंदोलन से पुन: लगाव। पुलिस दमन का शिकार हुए और
जेल गए। सत्ता के दमन चक्र के विरोध में पद्मश्री की उपाधि
का त्याग।
११ अप्रैल १९७७ को
देहावसान
प्रमुख कृतियाँ -
उपन्यास: मैला आँचल, परती परिकथा, कलंक-मुक्ति, जुलूस,
कितने चौराहे, पल्टू बाबू रोड।
कहानी संग्रह: ठुमरी, अग्निख़ोर, आदिम रात्रि की महक, एक
श्रावणी दोपहरी की धूप, अच्छे आदमी।
संस्मरण: ऋणजल-धनजल, वन तुलसी की गन्ध, श्रुत अश्रुत
पूर्व।
रिपोर्ताज: नेपाली क्रांन्ति कथा।
|