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अभिव्यक्ति में जूथिका राय
की
रचनाएँ
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आत्मकथा के अंश
आज भी याद
आता है
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जूथिका
राय
जन्म- २० अप्रैल १९२०
सात वर्ष की आयु से संगीत
कार्यक्रम देने वाली जूथिका राय चालीस और पचास के दशक में
अपनी लोकप्रियता की चोटी पर थीं। उन्होंने माला सिन्हा और
सुचित्रा सेन जैसी अभिनेत्रियों के लिए हिंदी और बंगाली
फ़िल्मों के गीत गाए।
मीरा के भजनों के लोकप्रिय
एलबम निकाले और देश विदेश में संगीत कार्यक्रम प्रस्तुत
किए। आज भी सबसे अधिक बिकनेवाले गैर फिल्मी गीतों के
ग्रामाफोन रेकार्डों का कीर्तिमान उनके नाम पर है। उनके
भजनों की मधुरता के लिए उन्हें आधुनिक मीरा भी कहा गया।
१९७२ में इंदिरा गाँधी ने
उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया। बांग्ला में उनकी
आत्मकथा "आजोऊ मोने पोड़े" नाम से प्रकाशित हुई है। गुजरात
में उनकी लोकप्रियता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता
है कि उनके हिंदी भजनों को गुजराती में लिपिपद्ध किया गया,
उनके प्रशंसकों ने स्वतंत्र रूप से धन एकत्रित कर उनकी
आत्मकथा का गुजराती अनुवाद प्रकाशित किया, उनके जीवन पर एक
फीचर फिल्म का निर्माण किया और उनके सम्मान में २००८ तथा
२००९ में भव्य कार्यक्रम आयोजित किए।
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