अभिव्यक्ति में चित्रा मुद्गल की रचनाएँ
गौरवगाथा में
कहानी
गेंद
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चित्रा
मुद्गल
१० दिसम्बर, १९४४ को चेन्नई में जन्मी चित्रा
मुद्गल वर्तमान हिन्दी साहित्य में एक सम्मानित नाम हैं। मुंबई
से हिन्दी साहित्य में स्नातकोत्तर चित्रा जी छात्र जीवन से ही
ट्रेड यूनियन से जुड़ कर शोषितों के लिये कार्यरत रही हैं।
अमृतलाल नागर और प्रेमचन्द से प्रभावित चित्रा जी को लिखने की
प्रेरणा मैक्सिम गोर्की के प्रसिद्ध उपन्यास "माँ" को पढ़ने के
बाद मिली।
प्रकाशित कृतियाँ-
नौ कहानी संग्रह, चार उपन्यास और संपादन की छह पुस्तकों सहित
विविध विधाओं की कुल ४१ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उनकी
अनेक पुस्तकों का चेक, इतालवी, स्पेनिश, चीनी और नेपाली सहित
कई अंतरराष्ट्रीय भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है। मराठी,
बंगाली, मलयालम, पंजाबी, कन्नड़, उर्दू, गुजराती, तमिल, असमिया
आदि भारतीय भाषाओं में भी उनकी पुस्तकों का अनुवाद हो चुका है।
पुरस्कार व सम्मान-
चित्रा मुद्गल को विभिन्न पुरुस्कारों से सम्मानित किया गया है
जिनमें "आवाँ" के लिये २००० का इंदु शर्मा कथा सम्मान, २००१-०२
का उत्तरप्रदेश का साहित्य भूषण तथा रूस का पूश्किन पुरस्कार
प्रमुख हैं। के० के० बिड़ला फाउंडेशन का तेरहवाँ व्यास सम्मान
पाने वाली वे प्रथम लेखिका हैं। उन्हें २००९ में रूस के
अंतर्राष्ट्रीय पूश्किन सम्मान, २०१० में उदय राज सिंह सम्मान
और तमिलनाडु के चिन्नप्पा भारती सम्मान से भी सम्मानित किया
गया है।
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