अभिव्यक्ति
में
अजय कुलश्रेष्ठ
की
रचनायें
निबंध
में
भारत
की भीषण भाषा समस्या और उसके सम्भावित समाधान
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अजय कुलश्रेष्ठ
जन्म
: नवंबर 1951
में उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के एक गांव में।
शिक्षा : प्रयाग विश्वविद्यालय से बी एस सी और आई आई टी
दिल्ली से एम एस सी। 1974 में उच्चतर शिक्षा के लिये यूनिवर्सिटी
आफ कैलिफोर्निया में प्रवेश और तब से अमेरिका में प्रवास।
सम्प्रति : जीविका का साधन कम्प्यूटर नेटवर्क इंजीनियरिंग।
वैज्ञानिक और मानवशास्त्रीय दोनों तरह के विषयों में समान
रूचि। पहले क्षेत्र को शिक्षालयों में सीखा और दूसरे क्षेत्र को
स्वाध्याय से।
आत्मकथ्य
: मैं विज्ञान और
साहित्य में कोई विरोध नहीं देखता
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वैज्ञानिक
प्राकृतिक प्रक्रियाओं और पदार्थो का अध्ययन कर आधारभूत
सिद्धांतों और संरचनाओं का उद्घाटन करते हैं . . . प्रकृति की
भव्य जटिलता को बोधगम्य बनाते हैं . . . उसकी रहस्यमयता का
अनावरण करते हैं। पर मानव चित्त (मनस) से अधिक गुह्य पकृति
में और क्या? विश्व के श्रेष्ठ साहित्य को इसी परम गुत्थी को
समझने के प्रयास के रूप में देखा जा सकता है। स्तरीय साहित्यकार
अपनी पैनी दृष्टि से, अपनी प्रेक्षण क्षमता से, मनस की विभिन्न
प्रवृत्तियों का क्षुद्र से लेकर उद्दात तक निरूपण और
विश्लेषण कर हमें प्रकृति के ही एक पक्ष से अवगत कराता है (और
यह पक्ष हमारे इतने समीप कि इस ज्ञान को हम आत्मज्ञान भी
कह सकते हैं)।
वैज्ञानिक और साहित्यकार दोनों ही प्रकृति के अनुशीलक हैं।
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संपर्क
:jaykulsh@compuserve.com
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