दवा,
तो अभी तक खोजी ही नहीं जा सकी है.. जाँच के किट कम हैं,
वेंटीलेटर नहीं हैं, अस्पताल में बेड नहीं हैं... टीवी पर
समाचार सुन-सुनकर कलेजा मुँह को आ रहा था। उम्रदराज लोगों
को ज्यादा हो रही है यह बीमारी... छूने से, खाँसने से फैल
रही है! क्या होगा अब? वह तो उम्रदराज भी हैं, हल्की खाँसी
भी हमेशा बनी रहती है... तो क्या परिवार में इतने लोगों के
होने के बावजूद, उनकी मृत्यु इतने बड़े घर में अकेले
पड़े-पड़े होनी है?
उन्होंने उठकर खिड़की के बाहर झाँका! सूनी पड़ी सड़क
भाँय-भाँय कर रही थी। हर तरफ फैला कांक्रीट का जंगल
निस्तब्ध था कि आसपास किसी फ्लैट की खिड़की तक खुली नजर
नहीं आ रही थी। अभी उसी दिन तो पूरा परिवार छुट्टियों में
बाहर गया था पर घर का ध्यान रखने को हर बार की तरह इस बार
भी वे घर में ही रुक गए थे। इस उम्र में भी पूरी तरह
स्वाबलंबी है वह, कि छत पर टहलना-योगा आदि नियमित दिनचर्या
है उनकी और अपनी आवश्यकताओं भर खाना-पकाना भी जानते हैं।
पर इस बार परिस्थितियाँ ऐसी करवट ले लेंगी कि घर के लोग
वहीं फँसे रह जाएँगे, कब सोचा था? हवाई-जहाज, ट्रेन, बस सब
बंद हैं... दाई-नौकर को भी मना कर देना पड़ा है...
दुश्चिंता से सिर भारी हुआ जा रहा था कि बीमार ही पड़ गए
तो कौन देखभाल करेगा उनकी? अस्पताल ले जाना तो दूर, कोई
छूने भी ना आएगा! फिर अगर वही नहीं रहेंगे तो घर वालों को
खबर कौन करेगा? तो क्या उनका शरीर यूँ ही बंद घर में पड़ा,
सड़ता रहेगा? क्या होने वाला है? कुर्सी की पीठ पर सिर
टिकाए, अब वह याद करने का प्रयत्न कर रहे थे कि इतनी लंबी
जिंदगी में ऐसे कौन-कौन से गलत काम उनसे हुए हैं जिसकी
इतनी बड़ी सजा उन्हें मिलेगी!
ऐसे में अचानक फोन की घंटी बजी। उस तरफ सुमित्रा थी, उनकी
पत्नी!
"क्या कर रहे हैं?"
"कुछ भी नहीं! बस, टीवी देख रहा था!"
"कुछ नहीं है टीवी पर! बंद करिए उसे। उठिए, और एक कप चाय
के साथ लॉन में जाकर बैठिये!" सुमित्रा ने कहा, तो
उन्होंने उठकर चूल्हे पर चाय का पानी चढ़ा दिया।
बारिश की फुहारों से धुले-धुले पेड़-पौधों के बीच कुर्सी
लगा, कड़क चाय की वह घूँट दिल-दिमाग में सुकून बनकर उतर गई
थी। फूटती हुई गुलाब की कली, मुस्कुराते डहेलिया, रेस
लगाती गिलहरी... वह अचानक चौंक से गए! जिंदगी हर तरफ अपनी
संपूर्ण सुंदरता के साथ बिखरी हुई थी। स्वास्थ्य, परिवार,
आत्मविश्वास... सब कुछ तो है उनके पास! न वह अकेले हैं, न
निर्बल! सारी नकारात्मकताओं से इतर हर परिस्थिति को
सँभालने में सक्षम हैं वह तो!
आसमान में, बादलों को इर्द-गिर्द कर अवसान की ओर बढ़ते
सूरज ने शरारती अंदाज़ में, एक बार उनकी ओर झाँककर देखा, तो
वह भी मुस्कुरा उठे।
१ जुलाई २०२० |