नयी बहू का आगमन सभी के लिये
उत्साहपूर्ण, मनोरंजक तथा छेड़छा़ड़ लिये होता है। नेहा की
शादी तय होने के बाद भी घर में कुछ ऐसा ही माहौल था।
ससुराल वालों से भी बातचीत होती रहती थी और लगभग रोज उसे
सुनने को मिलता-
-नेहा तू कितनी शगुनी है, शादी तय होते ही तेरे पति की
तरक्की हो गयी।
-तू कितनी भाग्यशाली है, तेरा देवर आई।ए।एस। पास हो गया।
-तू कितनी सुलक्षिणी है, तेरे भांजे की परीक्षा का परिणाम
अति उत्तम आया।
-नेहा तू तो देवी है, तेरे पैर पड़ने से पहले ही सासू माँ
की कैंसर की रिपोर्ट निगेटिव आ गयी।
खुशी खुशी शादी सम्पन्न हुई। विदा होकर ससुराल पहुँचते ही
लड़के के पिता यानी कि नेहा के ससुर को दिल का दौरा पड़ा
और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। नेहा और नरेश
पिता से मिलने अस्पताल गए। बड़े स्नेह के साथ पिता समान
ससुर उससे मिले और आशीर्वाद के साथ यह भी कह दिया कि बहू
पूरे घर की जिम्मेदारी अब तुम्हारी है। नेहा उनके आशीर्वाद
का अर्थ अभी बूझ भी न पाई थी कि दो दिन बाद ही सूचना मिली
कि नेहा के ससुर ने आँखें मूँद लीं... अब वे इस दुनिया में
नहीं रहे।
जैसे ही नेहा घर पहुँची एक आवाज उसके कानों में पड़ी-
"कितनी अपशगुनी बहू है आते ही ससुर को लील गयी।"
एक और आवाज- "बहू के पाँव में कितना दुर्भाग्य है घर में
पाँव पड़ते ही मौत..."
एक और स्वर - "कैसे ग्रह नक्षत्र हैं इसके आते ही सास
विधवा हो गयी।"
किसी और ने कहा- "अब आगे-आगे देखो क्या-क्या देखना पड़ता
है।"
अगले ही पल नेहा को लगा उसकी सारी दुनिया घूम गयी है।
१ सितंबर २०१८ |