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लघुकथाएँ

लघुकथाओं के क्रम में महानगर की कहानियों के अंतर्गत प्रस्तुत है
इरा जौहरी
की लघुकथा- रिटायरमेंट के बाद वाला इश्क


यों तो ये इश्क मोहब्बत की बातें कम उम्र के नौजवानों को शोभा देती हैं पर इश्क का क्या करें, किसी भी उम्र में किसी से भी हो सकता है... तो हुआ यों कि शन्नो चाची बिन्देश्वरी चाचा के रिटायरमेण्ट के बाद उनके घर में निखट्टूपने से रहने के कारण परेशान हो कर बोली- "दिन भर घर मे पड़े रहते हो ऐसे तो बीमार पड़ जाओगे, कुछ समय टहल आया करो बाहर की ताज़ी हवा भी खा आया करो।"

अब क्या करे... चाचा को बाहर निकलना पड़ा। अब बाहर रह कर कुछ समय बिताना ज़रूरी हो गया था जल्दी घर जाओ तो चाची नाराज़ कि इतनी जल्दी कैसे आ गये। तो एक दिन चाचा ने सोचा चलो पार्क में बैठा जाये वहाँ बैठे-बैठे मोबाइल से खेलते-खेलते अचानक मैसेन्जर मे एक मोहरतरमा की पोस्ट लाइक करते करते बातें शुरु हो गईं. अब तो चाचा को भी बाहर वक्त बिताना अच्छा लगने लगा और चाची तो इस बात से खुश थी कि चलो टहलना तो शुरु हुआ और उधर चाचा का एक बूँद रिटायरमेण्ट के बाद वाला इश्क शुरु हो चुका था।

१ सितंबर २०१८

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