अपनी
टोली के सदस्यों को शहर के विभिन्न क्षेत्रों में भेज कर
निकला ही था सात्विक, कि सड़क पर जाती हुई लड़कियों के पीछे
- "बन जा मेरी दिल की,,,,,,,गाते लड़कों को देखा।"
"इतनी देर से परेशान कर रहे हो। पुलिस को बुलाऊँ क्या।"
लड़की चीखी।
"अरे पुलिस को नहीं, पंडित को बुलाओ।" कह खिलखिला कर भद्दे
तरीके से हँस दिए।
"तुमको संगीता के घर शादी में देखा था, उसके भाई हो न।"
'अरे चल स्वाति, ये सब ऐसे ही होते हैं... चाहे संगीता का
भाई हो या हमारा।' कह आगे बढ़ी ही थी कि पीछे परेशान करते
लड़कों को सात्विक से उलझते देखा।
आपने मेरा वीडियो किसकी इजाजत से बनाया।
"अच्छा, तो आप किसकी इजाजत से फब्तियाँ कस कर ये गन्दे
इशारे कर रहे थे।"
'तेरी बहन लगती है क्या??'
"हाँ हर वो लड़की मेरी बहन है जिसके पास आप जैसे गन्दी सोच
वाले लोग मंडराते हैं।"
'औकात में रह, नहीं तो...'
"अब आप अपनी सीमा में रहिये, वरना ये पूरा वीडियो शहर के
एसपी के पास व्हाट्सएप करता हूँ।"
'अबे तू है कौन??'
"वीरा के वीर हैं हम..." पान की दुकान में लगा टेलीविजन
बोल उठा।
तो आइये मिले शहर के समाजसेवी नवयुवकों के इस समूह से,
जिन्होंने नैतिक पतन की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए, शहर के
मनचलों और गन्दी सोच वालों की खटिया खड़ी कर दी है। और आज
जिलाधिकारी से सम्मानित हो ये नवयुवक सभी पुरुषों से
'पुरुषों की गिरती साख' बचाने की अपील कर रहे हैं।
१ सितंबर २०१८ |