मुखपृष्ठ

पुरालेख-तिथि-अनुसार -पुरालेख-विषयानुसार -हिंदी-लिंक -हमारे-लेखक -लेखकों से


लघुकथाएँ

लघुकथाओं के क्रम में महानगर की कहानियों के अंतर्गत प्रस्तुत है
कविता गुप्ता
की लघुकथा- घोंसला


आज घोंसला खाली हो गया। कई दिनों से चिड़ियों के कुनबे ने अपने शोर से मेरी गर्मी की दोपहर को आराम विहीन कर दिया था। मना रही थी कि जल्दी से चिड़िया के बच्चों के पंख निकलें और वो यहाँ से उड़ जाएँ।

आज वो शुभ घड़ी आ गई जब वे तीन नन्हें चिरोंटे अपने नवनिर्मित पंख पसार कर उड़ चले विशाल आकाश की ओर। माँ चिड़िया ने भी तिनके समेटे और संतुष्ट भाव से उसने भी राह ली। मैं भी चली अपनी चैन की नींद सोने।

पर चैन कहाँ था, मन भी प्रसन्न नहीं था। आँगन का सूनापन चिड़ियों के शोर से ज्यादा भला नहीं लग रहा था।

और अब मुझे इंतजार है कि फिर कोई चिड़िया आए और फिर एक घोंसला बनाए।

१ सितंबर २०१८

1

1
मुखपृष्ठ पुरालेख तिथि अनुसार । पुरालेख विषयानुसार । अपनी प्रतिक्रिया  लिखें / पढ़े
1
1

© सर्वाधिका सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक
सोमवार को परिवर्धित होती है।