अधिकतर
लोग यही जानते हैं कि रावण सिर्फ श्रीराम से ही हारा था,
लेकिन ये सच नहीं है। रावण श्रीराम के अलावा शिवजी, राजा
बलि, बालि और सहस्त्रबाहु से भी पराजित हो चुका था। यहाँ
जानिए इन चारों से रावण कब और कैसे हारा था-
बालि से रावण की हार
एक बार रावण बालि से युद्ध करने के लिए पहुँच गया था। बालि
उस समय पूजा कर रहा था। रावण बार-बार बालि को ललकार रहा
था, जिससे बालि की पूजा में बाधा उत्पन्न हो रही थी। जब
रावण नहीं माना तो बालि ने उसे अपनी बाजू में दबा कर चार
समुद्रों की परिक्रमा की थी। बालि बहुत शक्तिशाली था और
इतनी तेज गति से चलता था कि रोज सुबह-सुबह ही चारों
समुद्रों की परिक्रमा कर लेता था। इस प्रकार परिक्रमा करने
के बाद सूर्य को अर्घ्य अर्पित करता था। जब तक बालि ने
परिक्रमा की और सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया तब तक रावण को
अपने बाजू में दबाकर ही रखा था। रावण ने बहुत प्रयास किया,
लेकिन वह बालि की गिरफ्त से आजाद नहीं हो पाया। पूजा के
बाद बालि ने रावण को छोड़ दिया था।
सहस्त्रबाहु अर्जुन से रावण की हार
सहस्त्रबाहु अर्जुन के एक हजार हाथ थे और इसी वजह से उसका
नाम सहस्त्रबाहु पड़ा था। जब रावण सहस्त्रबाहु से युद्ध
करने पहुँचा तो सहस्त्रबाहु ने अपने हज़ार हाथों से नर्मदा
नदी के बहाव को रोक दिया था। सहस्त्रबाहु ने नर्मदा का
पानी इकट्ठा किया और पानी छोड़ दिया, जिससे रावण पूरी सेना
के साथ ही नर्मदा में बह गया था। इस पराजय के बाद एक बार
फिर रावण सहस्त्रबाहु से युद्ध करने पहुँच गया था, तब
सहस्त्रबाहु ने उसे बंदी बनाकर जेल में डाल दिया था।
राजा बलि के महल में रावण की हार
दैत्यराज बलि पाताल लोक के राजा थे। एक बार रावण राजा बलि
से युद्ध करने के लिए पाताल लोक में उनके महल तक पहुँच गया
था। वहाँ पहुँच कर रावण ने बलि को युद्ध के लिए ललकारा, उस
समय बलि के महल में खेल रहे बच्चों ने ही रावण को पकड़कर
घोड़ों के साथ अस्तबल में बाँध दिया था। इस प्रकार राजा
बलि के महल में रावण की हार हुई।
शिवजी से रावण की हार
रावण बहुत शक्तिशाली था और उसे अपनी शक्ति पर बहुत ही घमंड
था। रावण इस घमंड के नशे में शिवजी को हराने के लिए कैलाश
पर्वत पर पहुँच गया था। रावण ने शिवजी को युद्ध के लिए
ललकारा, लेकिन महादेव तो ध्यान में लीन थे। रावण कैलाश
पर्वत को उठाने लगा। तब शिवजी ने पैर के अँगूठे से ही
कैलाश का भार बढ़ा दिया, इस भार को रावण उठा नहीं सका और
उसका हाथ पर्वत के नीचे दब गया। इस हार के बाद रावण ने
शिवजी को अपना गुरु बनाया था।
१ नवंबर २०१५ |