संपत्ति
के बटवारे को लेकर दोनों भाइयों में काफी कहासुनी हुई।
लंबे समय से दोनों के बीच बातचीत भी बंद थी। शहर के कपड़ा
मार्किट में दोनों की ही कपड़े की दुकान थी। जहाँ बड़े भाई
की दुकान काफी अच्छी चल रही थी वहीं छोटे की दुकान से
गुजारे भर की आय हो पाती थी हालाँकि परिश्रमतो वह भी काफी
करता था लेकिन उसकी आर्थिक स्थिति कमजोर ही बनी हुई थी।
इस बीच छोटे भाई ने अपनी बेटी की शादी तय की। इस बारे में
बड़े भाई को इत्तला तक न दी न उसे बुलाया। बाहरी लोगों से
ही बड़े भाई को सारी जानकारी मिली। पलभर के लिए उसे काफी
बुरा लगा कि संपत्ति के झगड़े में उसने खून के रिश्ते को
ही समाप्त कर दिया। कुछ सहज होने पर उसकी
आँखों के सामने कई चित्र एक साथ तेजी से घूम गये।
छोटे भाई की बेटी को गोद में लेकर खिलाना, उसे स्कूल
छोड़ने जाना, उसकी छोटी छोटी फरमाइशों को पूरा करना, अपने
बच्चों जैसा प्यार दुलार देना बेटी को उसे ‘बड़े पापा'
कहकर लाड़ लड़ाना आदि। छोटा यह सब कुछ कैसे भूल गया? इसकी
शादी के लिए कैसे पैसे का इंतजाम करेगा? कर्ज तले डूब
जाएगा। दिल कहता जब उसने रिश्ता तोड़ दिया तो मुझे क्या
लेना देना? फिर बुद्धि कहती आखिर तो तुम्हारा छोटा भाई ही
है जैसे उसकी बेटी वैसे ही तुम्हारी बेटी। फिर उस बेटी से
कितना लगाव भी तो था तुम्हें।
अगले दिन बड़ा भाई छोटे की दुकान पर गया और बोला- ‘छोटे,
मुझे एक बड़ी कंपनी से बड़ा ऑर्डर मिला है युनिफार्म के
कपड़े का। इस समय मेरे पास पर्याप्त स्टॉक नहीं है। वे लोग
अच्छी कीमत भी दे रहे हैं। तुम्हारे पास जितने थान हों
मुझे दे दो नकद भुगतान कर दूँगा।' छोटा भाई हैरानी से बड़े
को देखता रहा। पलभर के लिए दिमाग जैसे सुन्न हो गया कुछ
सूझा ही नहीं क्या कहे। लंबे समय से अबोले के कारण संकोच
भी हो रहा था। जब कुछ सहज हुआ तो बोला- ‘बैठो भाई, देखता
हूँ कितने थान रखे है? दुकान के भीतर से उसने काफी थान
निकाल बड़े भाई के सुपुर्द कर दिए। अगले दिन बड़े भाई ने
भुगतान भी कर दिया।
तभी बड़े भाई के मुनीमजी से छोटे को पता लगा उन्हें किसी
कंपनी से कोई ऑर्डर नहीं मिला है, वह तो छोटे की बेटी की
शादी के लिए कुछ सहयोग देने के लिए उन्होंने यह कदम उठाया
क्योंकि वे जानते थे छोटा उनसे मदद नहीं माँगेगा वह जिद्दी
तो है ही उनसे रिश्ता भी तोड़ चुका है लेकिन बड़े भाई उसकी
बेटी को अब भी उतना ही प्यार करते हैं। अगले दिन छोटा भाई
बड़े भाई की दुकान पर गया सारे पैसे उनके सामने रखते हुए
बोला - ‘भाई, ये पैसे आप रखिए। मैं तो सिर्फ इतना कहने आया
हूँ कि अब अपनी बेटी की शादी का पूरा दारोमदार आपको उठाना
है बस। बड़े ने छोटे को गले से लगा लिया
१ जून २०१५ |