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लघुकथाएँ

लघुकथाओं के क्रम में महानगर की कहानियों के अंतर्गत प्रस्तुत है
पूजा अनिल की लघुकथा- माँ सब देखती है


दीपू बेटा! आज मैं तुम्हारे स्कूल आऊँगी, और खुद तुम्हारा लंच बॉक्स ले आऊँगी, तुम्हें तैयार कर देती हूँ, आ जाओ बेटा!
सच माँ?
हाँ बेटा , एकदम सच! आज अपने लाडले बेटे को खुद अपने हाथों से खाना खिलाऊँगी। माँ बहुत प्यार से दीपू की शर्ट के बटन बंद करते हुए बोली।
मतलब तुमने देख लिया माँ?
क्या देख लिया बेटा?
माँ! तुमने कहा था ना कि तुम्हें सब दिखता है?
हाँ, मेरे प्यारे बेटे! मुझे तो सब दिखता है! पर तुम क्या देख लेने के बारे में पूछ रहे हो?

माँ! एक दिन मैं पार्क में खेलते हुए गिर गया था और रोते हुए घर आकर तुम्हें चोट दिखाई थी। तब तुमने मुझे चोट पर दवा लगाते हुए खूब प्यार से कहा था कि पार्क में पत्थर रहते हैं, उनसे ज़रा बच कर भागा दौड़ा करो! तब मैं खूब हैरान हुआ था कि तुम्हें कैसे पता चला कि मैं पत्थर से टकरा कर गिर गया, जबकि मैंने कुछ कहा ही नहीं? तब तुमने कहा था कि मैं माँ हूँ तुम्हारी, मुझे सब दिखता है! याद है तुम्हें माँ?

हाँ जी, अच्छी तरह याद है मुझे। तुम्हें लगी चोट कैसे भूल सकती हूँ बेटा ?

और एक दिन जब मैंने अपनी अलमारी के सब कपड़े गिरा दिए थे और तुमसे आकर झूठ कहा था कि मुझे नहीं मालूम कैसे गिर गए कपडे ! तब तुमने गुस्से में कहा था कि अपनी माँ से झूठ नहीं कहते क्योंकि माँ को सब दिखता है। मुझे मालूम है कि तुम अलमारी के ऊपर वाले हिस्से में रखे नए कलर पेंसिल बॉक्स को उठाना चाहते थे और कपड़ों के ऊपर चढ़ने की कोशिश में सब कपड़े गिरा दिए। और तब एकदम मासूम होकर पूछा था मैंने कि तुमने सब देख लिया माँ? यह भी याद है तुम्हें माँ?

बिलकुल बेटा, यह भी याद है मुझे। तुम्हारी मस्तियाँ और नादानियाँ, सब कुछ याद रहता है माँ को । माँ ने मुस्कुराकर दीपू की यूनिफॉर्म ठीक करते हुए कहा।

मुझे मालूम था माँ कि तुम वह सब देख लोगी जो मेरे साथ हो रहा है। कि स्कूल में दो मोटे लड़के मेरा लंच बॉक्स चोरी से खा जाते हैं। मुझे भूखा रहना पड़ता है और दोनों लड़के मुझे डराते हैं कि किसी से कुछ बताया तो मुझे खूब पीटेंगे। इस डर से मैंने तुम्हे भी कुछ नहीं बताया माँ!
पर मैं जानता था कि तुम खुद ही देख लोगी और जान जाओगी। अब तुमने देख लिया माँ, इसीलिए आज तुम खुद लंच बॉक्स लेकर आ रही हो, है ना माँ? पर यह सब देखने के लिए इतने दिन क्यों लगे तुम्हें माँ?

२४ मार्च २०१४

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