राम के आने की खुशी में जगह-जगह समारोह हो रहे थे। राम के
भक्तों में काम बाँटे जा रहे थे। किसी को सजावट और किसी को
रोशनी के काम दिए गए। कुछ लोगों को भोजन और तरह-तरह के
पकवान बनाने की ज़िम्मेदारी दी गई तो कुछ लोगों को स्वागत
और आवभगत की ज़िम्मेदारी दी गई। इस तरह से सारे काम भक्तों
में बाँट दिए गए।
उसी समय हनुमान वहाँ पहुँचे। वे राम के सामने हाथ जोड़ कर
खड़े हो गए और कहने लगे, 'भगवन, मुझे भी कुछ काम सौंप
दीजिए। मैं तो आपका परम भक्त हूँ। राम परेशान हो गए
क्योंकि सारे कामों का विभाजन पहले ही हो चुका था। अब अगर
किसी भक्त से काम वापिस लेकर हनुमान के हाथों में सौंपा
जाता, तो वह भी उचित नहीं लगता। श्रीराम सोच में डूब गए।
एकाएक श्रीराम को जम्हाई आई, तो उन्होंने चुटकी बजाकर
सुस्ती भगाई और चुटकी के साथ ही श्रीराम को एक विचार आया।
उन्होंने हनुमान जी से कहा, 'हनुमान तुम्हरा कार्य यह है
कि जब भी मैं जम्हाई लूँ, तुम चुटकी बजाना। हनुमान जी ने
हाथ जोड़कर कार्य स्वीकार कर लिया। भगवान ने एक बार फिर
जम्हाई ली और हनुमान जी ने तुरंत चुटकी बजाई।
कुछ समय बाद श्रीराम आराम करने के लिए अपने शयन कक्ष में
चले गए और हनुमान जी सजग होकर द्वार के बाहर बैठ गए। उसी
समय हनुमान जी को ख्याल आया कि अगर उनके स्वामी श्रीराम को
जम्हाई आ गई तो वह चुटकी बजाने से वंचित रह जाएँगे और वह
अपने कर्तव्य से चूक जाएँगे। इसलिए उन्होंने लगातार
चुटकियाँ बजानी शुरू कर दीं । उसी समय राम को भी हनुमान की
स्वामीभक्ति का विचार आया और वे समझ गए कि हनुमान जी
लगातार चुटकियाँ बजा रहे होंगे। राम जम्हाई पर जम्हाई लेने
लगे ताकि उनके भक्त की चुटकी व्यर्थ न चली जाए। उधर हनुमान
जी चुटकी पर चुटकी बजाते रहे कि कहीं भगवान की एक भी
जम्हाई चुटकी से वंचित न रह जाए। यह सिलसिला रात भर चलता
रहा।
इस पर सीता जी परेशान हो गईं कि यह राम को कैसा रोग लग गया
है। न कुछ बोलते हैं और न कुछ बताते, बस जम्हाई पर जम्हाई
लेते जा रहे हैं। सुबह होते ही सीता ने लक्ष्मण को
राजवैद्य को बुलवाने के लिए भेजा। लक्ष्मण जी के लिए जैसे
ही द्वार खुला वैसे ही श्रीराम ने जम्हाई लेना बंद कर दिया
और हनुमान जी ने चुटकी बजाना बंद कर दिया।
अब सीता और लक्ष्मण आश्चर्य चकित हो गए। राम ने दोनों को
पूरी बात बताई और हनुमान जी की ईश्वर भक्ति की खूब प्रशंसा
की। बाद में राम ने हनुमान जी से चुटकी बजाने का कठिन काम
वापिस ले लिया और उन्हें स्वागत करने वालों में शामिल कर
दिया। लोग आज भी हनुमान जी की रामभक्ति को याद करते हैं।
और जम्हाई लेते समय चुटकी बजाने की परम्परा तो आज भी जारी
है।
२८ अक्तूबर
२०१३ |