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लघुकथाएँ

लघुकथाओं के क्रम में महानगर की कहानियों के अंतर्गत प्रस्तुत है
कृष्ण बजगाईं की लघुकथा- तर्जनी उँगली



उनके हाथ की पाँचों उँगलियाँ सक्रिय थीं। यह पाँच उँगलियों का ही कमाल था जिनसे वे अपना और ख़ुदपर आश्रित परिवार का पेट पालते।

कुछ असरे बाद उनके दोनों हाथों की दसों उँगलियाँ सक्रिय हो गईं। दो हाथ जोड़कर दसों उँगलियों से वे वोट माँगते फिरे। मतदाता दयालु निकले। उन्हें अपने वोटों से विजयी बना दिया।

उनका पतला शरीर मालाओं से और अबीर के रंग से रंग उठा। इन सब को वहीं फेंक वे राजधानी चले गए। राष्ट्रीय पोशाक और टोपी में सजधजकर वे मंत्रालय में जा घुसे, मंत्री बनकर।

मतदाताओं को विश्वास नहीं हुआ पर कुछ ही महीनों में वे राजधानी में महल खड़ा कर चुके थे। देखते ही देखते वे टेलीविज़न के पर्दे पर, और अखबारों के पन्नों पर मोटे-घाटे दिखाई देने लगे।

आजकल केवल उनकी तर्जनी उँगली ही काम करती है।

२७ जून २०१०

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