बरामदे में बैठे-बैठे वे
विचारों के समुद्र में गोते लगा रहे थे। कभी सामने रोशनदान
के ऊपर बैठे चिड़ा-चिड़ी को देखते तो कभी अपने वर्तमान और
अतीत में झाँकते। और कभी वे अतीत के आत्मीय क्षणों को पकड़ने
की कोशिश करते, किंतु बार-बार फिसल जाते थे।
रोशनदान में लगाए गए घोंसले
के भीतर चिड़ा-चिड़ी के बच्चे भूख से चिल्ला रहे थे। उनके
चिल्लाने की आवाज़ से उनका ध्यान टूटा। एक समय उनकी भी ऐसी
ही स्थिति थी। वे भी अपने बच्चों के पालन-पोषण में व्यस्त
रहते थे। उनके लिए येन-केन-प्रकारेण सारी सुविधाएँ जुटाने
में वे कभी हिचकते नहीं थे। कभी किसी को तकलीफ़ नहीं होने
दी। बच्चों के चिल्लाने की आवाज़ से उनके सोचने का सिलसिला
टूट गया। उन्होंने देखा चिड़ा परेशान मुद्रा में रोशनदान पर
बैठा हुआ था।
बच्चों की परेशानी से चिड़े
के भीतर तूफ़ान उठा हुआ था। वह उड़कर बाहर जाता और थोड़ी देर
में लौट आता। फिर बाहर जाता और खाली लौटता। लगता था पूरी
भोजन-सामग्री नहीं मिल पाने के कारण बच्चे शोर मचा रहे थे।
चिड़ा परेशान था।
चिड़े की परेशानी देखकर वे
फिर अपने अतीत में खो जाते हैं। बच्चों की थोड़ी-सी परेशानी
उन्हें बेचैन कर देती थी। परेशान चिड़े को देखकर उन्हें
सहानुभूति हो आई। उन्होंने पत्नी को आवाज दी, ''सुनती हो!
ज़रा बाहर तो आना।''
पत्नी के बाहर आने पर रोशनदान की तरफ़ इशारा करते हुए कहा,
''देखो ना! चिड़ा बहुत परेशान है। लगता है बाहर खाने-पीने की
चीज़ें नहीं मिल पा रही हैं। इसके चलते उसके बच्चे भूख से
शोर मचा रहे हैं। कुछ हो तो नीचे छींट दो।''
''बेकार परेशान हो रहा है। सयाने होते ही बच्चे फुर्र से उड़
जाएँगे और यह मुआ फिर अकेला रह जाएगा।''
पत्नी की बातों ने उन्हें
कुरेद कर रख दिया था। आज उनकी स्थिति भी तो वैसी ही है।
बच्चे अपने परिवार के साथ व्यस्त हैं। उनकी खोज-ख़बर लेने
वाला कोई नहीं है।
''चाय पकड़िए!'' पत्नी ने बगल में बैठते हुए कहा और कटोरी
में रखे चावल के दानों को फ़र्श पर छींट दिया। दोनों
पति-पत्नी बैठे-बैठे प्रतीक्षा कर रहे थे कि चिड़ा उतरेगा।
फ़र्श पर छितराए दानों को चुनेगा और बच्चों को खिलाएगा,
किंतु चिड़ा नीचे नहीं उतरा। वह चुपचाप उनकी तरफ़ देखता रहा।
''अरे मुए, देखते क्या हो? बच्चों को दाना चुगकर खिलाओ।''
चिड़े ने एकबार उनकी तरफ़
देखा। लगा जैसे वह कुछ कहना चाह रहा है, किंतु उसने कुछ कहा
नहीं। फ़र्श पर छितराए दानों को चुपचाप देखता रहा।
उन्होंने बहुत प्रयास किया, किंतु चिड़े ने एक दाना भी नहीं
छुआ। उन्होंने चिड़े को हुदकाया कि वह नीचे उतरे और दाना
चुगकर बच्चों को खिलाए, किंतु चिड़ा रोशनदान से निकल कर बाहर
जा चुका था। |