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कहानियाँ

समकालीन हिंदी कहानियों के स्तंभ में इस सप्ताह प्रस्तुत है
भारत से प्रतिभा की कहानी- आप हमेशा रहेंगे


प्यारे पप्पा,
सब कह रहे हैं आप नहीं रहे।
पर मुझे ऐसा नहीं लगता क्योंकि आपकी खुशबू हर पल सारे घर में फैली रहती है। हर कमरे में, तीनों बालकनी में, हर जगह। आपकी खुशबू दुनिया के हर फूल की खुशबू से अलग है बिलकुल आपकी तरह। सारा घर हर पल उससे महकता रहता है। मुझे तो हमेशा यह लगता है कि आप अभी पीछे से आ जाएँगे और मुझे ज़ोर से धप्पा करेंगे। फिर खिलखिलाकर मुझे उठा लेंगे, पूरे के पूरे घूम जाएँगे और फिर ज़ोर से एक पप्पी लेंगे...फिर लेंगे...फिर लेंगे और लेते ही जाएँगे। आपको ये ध्यान ही नहीं रहेगा कि अब मैं बड़ी हो गई हूँ गुड़िया नहीं रही।

घर में सबकी सुबहें बहुत उदास हैं बिल्कुल नंगे पेड़ जैसी। पर मैं सुबह आँखें खोलती हूँ तो आप रोज़ की तरह सफ़ेद गुलाब को पानी देते हुए दिखते हैं, स्टडी रूम में जाती हूँ तो आप किताबों पर झुके हुए मिलते हैं, बालकनी में जाती हूँ तो आप कुछ सोचते हुए, चिन्तन-मनन करते हुए धीरे-धीरे चलते हुए दिखते हैं। आपका लगातार शून्य में कुछ ढूँढना मुझे भी आश्वस्त करता है कि आप मेरे सामने हैं, आप कुछ नया करने वाले हैं, आप कोई योजना बना रहे हैं, आप किसी का कुछ सँवारने जा रहे हैं, ध्यान में डूबे हैं समाधिस्थ ऋषि की तरह।

मम्मा ने बैडरूम से भगवान जी का फोटो हटा कर आपका बड़ा सा फोटो लगा लिया है, आपके व्यक्तित्व जितना बड़ा तो नहीं पर हाँ बहुत बड़ा...आपका मुस्कराता हुआ जीवंत चेहरा, सफ़ेद बादलों के झुरमुट जैसा निश्छल, गंगा जैसा निष्कलंक, सत्यता जैसा भव्य, विश्वास जैसा दृढ, एकांत जैसा शांत चेहरा। सुबह उठते ही मम्मा उस फोटो से आपको निकालकर अपनी आँखों और दिल में बसा लेती हैं फिर सारा दिन आप उनके साथ ही बने रहते हैं पूरी सचेतता और आश्वस्ति के साथ। प्रकाश के उस स्रोत की तरह जो सब प्रकाशित करता चला जाता है। वह प्रकाश का ओरा आप ही तो होते हैं जिसे मम्मा हर पल धारण किए रहती हैं ।

मम्मा जब काम वाली आंटी को बुखार में तपता देखती हैं और उसे दवा देकर सुला देती हैं और ख़ुद झाड़ू पोंछा बर्तन करती हैं तो वो आप ही तो होते हैं और जब दद्दू रिक्शा से उतरकर अन्दर आते हैं और अपना स्वैटर ले जाकर रिक्शा वाले को पहना देते हैं तो वो भी आप ही होते हैं। आपका हर वो शब्द जो आपने इंसान की बराबरी और मानवता की भावना को लेकर कहा है बराबर इस घर के हर कोने में ज़िन्दा विचरता है और हर साँस के साथ हमारे भीतर उतरता है। आप ही तो कहते हैं शब्द कभी नहीं मरते, मुँह से निकलने के बाद वे सारे ब्रह्माण्ड में व्याप्त हो जाते हैं। हर अणु से चिपक जाते हैं और अपना प्रभाव डालते हैं। आपका हर शब्द ज़िन्दा है और प्रभाव डाल रहा है।

मम्मा सबके सामने नहीं रोतीं। अपने आपको शेर की पत्नी दिखाती हैं पर मन में अन्दर ही अन्दर रोती हैं। कभी-कभी उनकी आँखें बहुत रोती हैं बिना आँसू बहाए। मैंने कई बार महसूस किया है। मन के अन्दर सिसकियों की आवाज़ मैंने सुनी है। जब मम्मा रात को मुझसे लिपट कर सोती हैं तो कई बार मैं मम्मा के अन्दर सिसकियों की आवाज़ सुन लेती हूँ। मम्मा चुपचाप सारा दिन कामों में लगी रहती हैं। दद्दू, दादी का बराबर चैकअप कराती हैं। जब दद्दू-दादी डॉक्टर के पास नहीं जाते तो मम्मा डॉक्टर को घर बुला लेती हैं बिल्कुल आपकी तरह।

कभी-कभी मम्मा साँझ को चुपचाप घर के पास वाले उस चौराहे पर जाकर सूनी आँखों से उस जगह देखती रहती हैं जहाँ आपकी बाइक और आप ख़ून से लथपथ आख़िरी साँसें गिनते मिले थे। तब आप चुपके से उठकर आते हो और मम्मा की आँखों में बस जाते हो। ख़ून के सब कतरे मिलकर आप बन जाते हो और मुस्कराते हुए एक संकल्प के रूप में मम्मा के भीतर प्रवेश कर जाते हो। मम्मा उस संकल्प के मंगलसूत्र को धारण कर धीरे-धीरे कदमों से चलती हुई घर लौट आती हैं बिलकुल दिन की ओर बढ़ती सुबह की तरह, विलीन होती शबनम की तरह। तब मैं समझ नहीं पाती लोग क्यों कहते हैं कि आप नहीं रहे।

मम्मा ने अपने फोन की वाल पर आपको अंकित कर लिया है, दद्दू ने भी। मम्मा ने हर हैंगर में अपनी साड़ी के साथ आपकी कमीज़ लगा ली है। दद्दू ने अब गरीब ज़रूरतमंद लोगों का हाथ थामना शुरू कर दिया है बिल्कुल आपकी तर्ज़ पर। सुबह से ही गाँव के गरीब किसान उनसे कुछ न कुछ सलाह लेने आने लगते हैं और बाहर के कमरे में दद्दू उन सब के दुःख दर्द सुनते भी हैं और हर सम्भव मदद भी करते हैं। उस समय दद्दू दद्दू नहीं रहते आप हो जाते हैं। दद्दू भी आपकी तरह सबको कहते हैं बच्चों को पढ़ाना ज़रूर किसी भी कीमत पर। जब सब आपके न रहने की बात करके दुःखी हो जाते हैं तो दद्दू सबको सँभालते हुए कहते हैं वो कहीं नहीं गया वो यहीं है हमारे आसपास, बस हमें दिखाई नहीं देता। हमें उसके छोड़े काम पूरे करने हैं। ऐसा कहते हुए दद्दू ध्यान रखते हैं आवाज़ भर्राए नहीं, लड़खड़ाए नहीं।

कल दद्दू कोर्ट गए थे। गाँव के ढेरों लोगों का काफि़ला उनके साथ गया था। आप दद्दू की वाणी में विराजमान थे। दद्दू कह रहे थे हमें न्याय की माँग करनी है अन्याय का विरोध। कल दद्दू किसानों को कह रहे थे आपके ख़ून की एक-एक बूँद एक-एक ईमानदार आई.ए.एस. पैदा करेगी। जहाँ-जहाँ आपके ख़ून की बूँदें गिरेंगी वहीं-वहीं से ईमानदार लोग पैदा होंगे और आपकी लड़ाई को आगे बढ़ाएँगे। दद्दू कह रहे थे आपके खून की एक भी बूँद बेकार नहीं जाएगी। पुलिस स्टेशन से कोई न कोई आता रहता है। लोग जैसे आपके साथ होते थे अब दद्दू के साथ होते हैं।

कल दादी ने गाँव की औरतों को सम्बोधित किया। आज सब औरतें शांति मार्च करेंगी। दादी कह रही थी मेरा बेटा शेर था। वो जब दहाड़ता था तो भ्रष्ट शासन तंत्र काँपने लगता था और मैं भी शेरनी हूँ। शेर को जन्म देने वाली शेरनी। हमें चुप नहीं रहना। पप्पा, उस समय दादी की आँखों में आप दिखाई दे रहे थे। दादी दिन में तो शेरनी की तरह दहाड़ती रहती हैं पर रात को अपने कमरे में दद्दू के गले लगकर बहुत रोती हैं। दद्दू भी दिन भर आपके लिए लड़ते हैं पर रात को दादी को चुप कराते हुए ख़ुद भी रो पड़ते हैं। दोनों के आँसुओं की धाराएँ मिल कर एक हो जाती हैं। मैं पहचान नहीं पाती कौन सी धारा दादी की है और कौन सी दद्दू की।

कल मैं दद्दू के साथ एक निमंत्रण में गई थी। एक शोक सभा, एक श्रद्धांजलि जो आपको अर्पित की गई थी। माँ और दादी ने जाने से मना कर दिया पर मैं गई थी। वहाँ आप फोटो के फ्रेम के पीछे से हमें देख रहे थे। आपकी मुस्कराहट मुझे फिर आश्वस्त कर गई कि आप हमारे पास ही हैं। वहाँ आपकी ईमानदारी और बहादुरी की बहुत प्रशंसा की गई। वहाँ वो सब किसान मौजूद थे जिनकी ज़मीन बचाने के लिए आप सरकार से जूझ रहे थे। वे सब निराश हो रहे थे पर दद्दू ने उन्हें भरोसा दिलाया कि वे और सब ईमानदार लोग अगर इकट्ठे हो जाएँ तो बेईमानी डर कर भाग जाएगी। एक एक दिया जलाकर हम रोशनी का सागर बना सकते हैं। दद्दू ने उन्हें विश्वास दिलाया कि लोग एक जुट हो रहे हैं और आपके अधूरे काम को पूरा होना ही पड़ेगा।

मेरे स्कूल में सबका बिहेवियर मेरे साथ बदल गया है। सब मेरा ध्यान रखने लगे हैं। सब मुझे प्यार करने लगे हैं। प्यार, सहानुभूति, दया...इनमें से कौन क्या दे रहा है मुझे समझ नहीं आता पर जो भी मेरे पास आ रहा होता है उसमें आप होते हैं। मेरा सीट पार्टनर हमेशा मुझे तंग करता था पर अब वह मेरा दोस्त बन गया है। एक दिन वह कह रहा था- "मैं तुम्हारे पापा की तरह ओनैस्ट और ब्रेव बनना चाहता हूँ।" वह आपका फैन हो गया है। मेरी क्लास के और भी कई बच्चे आप की तरह बनना चाहते हैं। सीनियर विंग के कई बच्चे आपके फैन हो गए हैं। वो कहते हैं कि आप उनके आइडियल हैं। वो आप पर प्राउड करते हैं। नोटिस बोर्ड पर आपकी फोटो के साथ एक कविता लिखी हुई है।

टीचर्ज़ भी आपके बारे में बात करते हुए कहती हैं कि जो हुआ अच्छा नहीं हुआ। इस तरह तो सच, अच्छाई अस्त होता सूरज हो जाएगी जो हमारे समाज के लिए अच्छा नहीं है। ख़ूनियों को सज़ा अवश्य मिलनी चाहिए। चाहे फिर वह कितना ही बड़ा नेता क्यों न हो।

हर अखबार में, टी.वी. पर लोग आपके लिए न्याय की माँग कर रहे हैं। दद्दू दिन में लोगों को सम्बोधित करते हैं रात को टी.वी. पर आपके लिए उठने वाली हर आवाज़ को अपनी आवाज़ में आकर मिलता हुए महसूस करते हैं। ढेरों हाथ दद्दू के हाथों के साथ हिलने लगे हैं। टी.वी. में लोग आपके साथ दिखते हैं और उन सब लोगों के बीच में आपका मुस्कराता चेहरा झाँक रहा होता है। कई राज्यों में आपके समर्थन में तथा सरकार के विरोध में कैम्पेन शुरू हो गई है। सारा मीडिया आपके साथ है आप सारे मीडिया पर छाए हुए हैं।
आपकी आवाज़ सबकी आवाज़ बन गई है फिर भी लोग कहते हैं आप नहीं रहे, गलत कहते हैं न!
मैं सब को कहती हूँ आपका न होना भी होना है। आप हैं और हमेशा रहेंगे।

१३ अप्रैल २०१५

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