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टिकट संग्रह                              


इंडोनेशिया के डाकटिकटों पर धनेश्वर कुबेर
पूर्णिमा वर्मन
 


भारत के लगभग समुदायों में दीपावली के दिन कुबेर पूजा की परंपरा है। कुबेर को धन, वैभव, सुख, समृद्धि का देवता माना जाता है। वे बौद्ध धर्म में जम्भाल या वैश्रवण हैं, जापान में बिशमन और इंडोनेशिया में दानेश्वर हैं।

कहा जाता है कि जो लोग कुबेर की पूजा करते हैं उनके पास कभी धन की कमी नहीं होती। कुबेर धरती पर धन की रक्षा करते हैं और देवताओं के कोषाध्यक्ष हैं। कुल मिलाकर यह कि धन और कोष से उनका गहरा नाता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए इंडोनेशिया ने १९६३ में अपने बैंक दिवस के अवसर पर बैंक की छवि के साथ साथ कुबेर की छवि वाले चार डाकटिकट एक प्रथम दिवस आवरण के साथ जारी किये थे।

हर देश की भाँति इंडोनेशिया में भी बैंकिंग सेवा का इतिहास है। एनआई - (नेशनल बैंक औफ इंडोनेशिया) या बीआई (बैंक इंडोनेशिया) इंडोनेशिया में अग्रणी बैंकिंग सेवा प्रदाताओं में से एक है। इस बैंक की स्थापना ५ जुलाई १९४६ को इंडोनेशिया गणराज्य की सरकार के आधिकारिक स्वामित्व वाले पहले बैंक के रूप में की गई थी। इसी दिन के सम्मान में राष्ट्रीय बैंक दिवस मनाया जाता है। ५ जुलाई १९६३ को बैंक दिवस के अवसर पर, तत्कालीन राष्ट्रपति सुकर्णो ने जकार्ता में इस बैंक के नये भवन का उद्घाटन किया। इस अवसर को यादगार बनाने के लिये उन डाकटिकटों और प्रथम दिवस आवरण को जारी किया गया था जिनका उल्लेख ऊपर किया गया है।

ऊपर दिया गये गए पहले डाकटिकट पर धनेश्वर (कुबेर) की उस मूर्ति की प्रतिकृति है जो इंडोनेशिया के एक द्वीप जावा के प्रमबनन मंदिर में स्थित है। धनेश्वर कुबेर का ही एक नाम है जो इंडोनेशिया में बहुत प्रचलित है। धनेश्वर पहले अर्तजा शब्द लिखा है जिसका अर्थ है कलाकृति। हरि शब्द का अर्थ है दिवस और सभी डाकटिकटों में ऊपर जो पंक्ति अंकित है उसका अर्थ है बैंक दिवस ५ जुलाई १९६३. पहला डाकटिकट बारह रुपिया और दूसरे का मूल्य है चार रुपिया। यह जानना भी रोचक है कि इंडोनेशियन मुद्रा रुपिया और भारतीय मुद्रा रुपया, दोनो भाषाओं के ये शब्द बहुत ही मिलते जुलते हैं।

तीसरे और चौथे डाकटिकट में बायीं और लिखा है गिडुंग बैंक इंडोनेशिया यहाँ गिडुंग शब्द का अर्थ है भवन। इस डाकटिकट पर उस नये भवन का चित्र अंकित है जिसके उद्घाटन के अवसर पर ये डाकटिकट जारी किये गए थे। इनमें से एक डाक-टिकट का मूल्य है १.७५ रुपिया और दूसरे का ६ रुपिया।

इसी अवसर पर जारी किये गए प्रथम दिवस आवरण पर ये चारों चित्र डाकटिकट देखे जा सकते हैं। इस पर बैंक दिवस, तिथि और वर्ष भी अंकित किये गए हैं। आवरण पर एक रेखा चित्र भी है जिसमें बैंक के भवन और उसमें जाती हुई लोगों की भीड़ को सुंदरता से दर्शाया गया है। डाकटिकटों और आवरण के लिये एक विशे मोहर भी जारी की गयी है जिसके केन्द्र में धनेश्वर कुबेर की मूर्ति है।

१ नवंबर २०२३

 
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