गयाना के डाक टिकटों पर
पौराणिक पात्र
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पूर्णिमा वर्मन
गयाना गणराज्य ने २६
फरवरी १९६९ को होली के पर्व पर चार डाक-टिकट और एक प्रथम दिवस
आवरण जारी किया था। इन चार डाकटिकटों में होली के दो चित्र
अंकित किये गए थे। एक में कृष्ण को गोपियों
के साथ होली खेलते हुए दिखाया गया है और दूसरे में राधा के
साथ। इनका मूल्य था- ६, २५, ३० और ४० सेंट। ६ सेंट और ३० सेंट के मूल्य के डाक
टिकट भगवान कृष्ण को गोपियों के साथ होली खेलते हुए दर्शाते
हैं जबकि २५ सेंट और ४० सेंट के टिकट राधा और कृष्ण को होली
मनाते हुए दर्शाते हैं। एक जैसे चित्र लेकिन अलग मूल्य वाले
डाकटिकटों के रंगों में थोड़ा-सा परिवर्तन कर उन्हें अलग
दिखाने का प्रयत्न किया गया था। इस बात को नीचे दिये गए प्रथम
दिवस आवरण वाले चित्र को देखकर समझा जा सकता है।
दक्षिणी अमेरिका का एक देश है।
वर्षों तक ब्रिटिश उपनिवेश रहने के बाद गयाना २६ मई १९६६ को
स्वतंत्र हुआ और २३ फ़रवरी १९७० को यह गणराज्य बना। यहाँ पर
भारतीय मूल के लोगों की संख्या लगभग ५०% है। भारत से दूर इतनी
भारतीय जनसंख्या के ऐतिहासिक कारण हैं। सूरीनाम, त्रिनिडाड,
मारीशस और फीजी की भाँति इस देश में भी गरीब भारतीयों को दास
बनाकर लाया
गया।
इन्हें परमिट
सिस्टम के अंतर्गत दूर देशों में काम करने के लिये
भेजा जाता था। यह एक प्रकार की दासप्रथा थी, जिसमें अधिकांश
मजदूर कभी भी भारत लौट कर नहीं आते थे। महत्वपूर्ण बात यह है
कि मातृभूमि छोड़कर विदेशों में जाकर बसने वाले इन भारतीयों ने
अपनी संस्कृति को नहीं छोड़ा।
भारत में, होली को
सर्दियों से वसंत तक ऋतुओं के परिवर्तन के रूप में मनाया जाता
है। साथ ही रंगों के इस त्योहार के कई पौराणिक मायने भी हैं।
गुयाना में जो बड़ा भारतीय समुदाय निवास करता है वह भारतीय
त्योहारों को आज भी मनाता है। भारत के पूर्वी उत्तर प्रदेश और
बिहार के बहुत से भागों में होली के पर्व को फगुआ कहते हैं।
गयाना के भारतीय भी इस प्रदेश से गयाना पहुँचे थे अतः वहाँ भी
होली को फगुआ के नाम से जाना गया। इस पर्व की लोकप्रियता के
देखते हुए गुयाना पोस्ट
ने रंगों के भारतीय त्योहार की विशेषता वाले चार डाक टिकटों का
एक सेट जारी किया तो इनके ऊपर भी होली को फगुआ फेस्टिवल ही
लिखा।
इसके साथ जो प्रथम दिवस आवरण भी जारी किया गया था जिस पर २६
फरवरी १९६९ की तिथि देखी जा सकती है।
१९६९ में होली चार मार्च को थी। कहना न होगा कि ये
डाक-टिकट गुयाना के भारतीय समुदाय को होली के उपहार के रूप में
होली से पहले ही मिल गये थे। प्रथम दिवस आवरण पर बायीं ओर
गयाना के राष्ट्रचिह्न को अंकित किया गया है। गयानी मुद्रा
गयान डॉलर है इसलिये इन डाकटिकटों पर भी मुद्रा भी सेंट में
अंकित की गयी है।
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