नवजात
शिशु का पाँचवाँ सप्ताह
—
इला
गौतम
खेल का समय
इस नई और अपरिचित
दुनिया में नन्हे मुन्ने का मार्गदर्शन करने का सबसे अच्छा
तरीका है उसके साथ खेलना। चटक रंगों वाले पालने के ऊपर
लटकते खिलौने और बच्चों की तरह-तरह के चहरों की फ़ोटो वाली
किताब शिशु को मोह लेगी।
एक खेल व्यायामशाला जो सम्मोहक खिलौनों से भरी हो जिनको
देखा जा सके, मारा जा सके, और सुना जा सके, शिशु के पालने
में बनाई जा सकती है। इससे शिशु की बाहों, हथेली और
अँगुलियों के समन्वय कौशल को अभ्यास मिलेगा। साथ ही साथ ही
शिशु के लिये लेटकर समय बिताना और भी रोचक बन जाएगा। माँ
भी अपने शिशु की बगल में लेटकर उसके मज़े में शामिल हो
सकती है।
हालाकि शिशु अभी उत्साह से चीज़ें पकड़ता है लेकिन अभी भी
उसके पास हाथ और आँख का समन्वय नही है जिससे वह अपनी आँख
के सामने से गुज़रने वाले खिलौने को पकड़ सके। यह कौशल
करीब ४ महीने की आयु तक आएगा। इस बीच खिलौने उसके हाथ में
पकड़ाने पड़ेंगे।
विस्तार की खोज
जन्म के समय शिशु को यह
एहसास नही था कि उसके हाथ और पैर उससे जुड़े हुए हैं।
लेकिन अब शिशु अपने शरीर की पहचान करना शुरू करता है। वह
सबसे पहले अपने हाथ और पैर की खोज करता है।
शिशु की रुचि को बढ़ावा दें - उसके हाथ सिर के ऊपर पकड़ कर
उससे पूछें "कितना बड़ा बच्चा" या फिर उसकी पैर की
अँगुलियों को पकड़ के कोई गाना बनाकर उन्हे गिनें। शिशु के
हाथ उसके चहरे के सामने लाकर हिलाएँ ताकि वह उन्हे एक ही
समय में देख और महसूस कर सके।
शिशु के शरीर में तापमान का संचालन अभी पूरी तरह नियंत्रित
नहीं होता इसलिये उसे कमरे के तापमान के साथ सामंजस्य
बैठाने में कठिनाई होती है। ध्यान रहे कि शिशु के शरीर की
कुछ गरमी हाथ और तलवों से निकल जाती है। इसलिए सरदी के
दिनो में शिशु के हाथ और तलवे ढके रहने चाहिए विशेष रूप से
बाहर जाते समय।
बातचीत
शिशु अपनी भावनाओं को व्यक्त
करने के लिए गले से कई तरह की आवाजें निकालता है। दूध से
गरारे करना, कू, घुर-घुर या म् म् की आवाज़ निकाल सकता है।
कुछ बच्चे किलकना और हँसना भी शुरू कर देते हैं। शिशु की
हर आवाज़ का उत्तर उसी आवाज़ में ज़रूर दें और उनसे
आमने-सामने रह कर बात करें। उसे आपको एक टक देखने में बहुत
मज़ा आएगा। यदि आप काम में व्यस्त हो तो भी शिशु को कमरे
में आपकी आवाज़ सुन कर मज़ा आएगा। शिशु से उनकी भाषा में
बात करने में शर्माएँ नहीं। बच्चे खास तौर पर ऊँचे स्वर की
खिची हुई आवाज़ के अभ्यस्त होते हैं। यह वास्तव में उन्हे
भाषा की संरचना और बातचीत का आरोह अवरोह सिखाते हैं। अपनी
दिनचर्या शिशु को सुनाएँ। वह आपकी बातचीत का आनन्द लेगा और
हो सकता है कि अपनी भाषा में कुछ टिप्पणी भी देना शुरू कर
दे।
शीश उठा के
शिशु की मासपेशियाँ मज़बूत
हो रही हैं जिनके कारण वह अपनी गरदन कुछ समय के लिए उठाए
रख सकता है। वह पेट के बल लेटे समय कुछ देर तक अपनी गरदन
उठाकर संभाल सकता है और सम्भवतः एक तरफ़ से दूसरी तरफ़
मोड़ भी सकता है। शिशु जब कार सीट में हो या सीने पर बाँधे
जाने वाले बैगनुमा कैरियर (फ्रंट कैरियर) में तब भी वह
अपनी गरदन उठाने की कोशिश कर सकता है।
वह पहली मुस्कान
दुनिया के सभी बच्चे लगभग एक
ही समय पर मुस्कुराना सीखते हैं। इसलिए तैयार हो जाइए,
शिशु आपके असीम प्यार को पुरस्कृत करने वाला है अपनी
खुशनुमा, बिना दाँत, सिर्फ़ आपके लिए वाली मुस्कान से। दिन
भर की थकान के बाद शिशु की वह पहली मुस्कान आँखें नम कर
देती है। आपकी पिछली रात कितनी भी बुरी क्यों ना गुज़री
हो, शिशु की एक मुस्कान आपका दिल पिघला देगी।
याद रखें, हर बच्चा अलग होता है
सभी
बच्चे अलग होते हैं और अपनी गति से बढते हैं। विकास के
दिशा निर्देश केवल यह बताते हैं कि शिशु में क्या सिद्ध
करने की संभावना है - यदि अभी नही तो बहुत जल्द। ध्यान
रखें कि समय से पहले पैदा हुए बच्चे सभी र्कियाएँ करने में
ज़्यादा वक्त लेते हैं। यदि माँ को बच्चे के स्वास्थ
सम्बन्धित कोई भी प्रश्न हो तो उसे अपने स्वास्थ्य केंद्र
की सहायता लेनी चाहिए।
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