प्राकृतिक रंगों की खोज घर - बाहर
—अरुणा घवाना
होली के सूखे रंगों को गुलाल
कहा जाता है। मूल रूप से यह रंग फूलों और अन्य प्राकृतिक
पदार्थों से बनता है जिनमें रंगने की प्रवृत्ति होती है। समय
के साथ इसमें बदलाव आया और होली के ये रंगों में अब रसायन भी होते
हैं और कुछ तेज़ रासायनिक पदार्थों से तैयार किए जाते हैं। ये
रासायनिक रंग हमारे शरीर के लिए हानिकारक होते हैं, विशेषतौर
पर आँखों और त्वचा के लिए। इन्हीं सब समस्याओं ने फिर से
हमें प्राकृतिक रंगों की ओर रुख करने को मजबूर कर दिया है।
अब आप सोचने लगे होंगे कि तो
क्या फिर हम कभी चटक रंगबिरंगे रंगों से होली नहीं खेल
सकेंगे। तो इसमें निराश होने की ज़रूरत नहीं है बल्कि आप
खुद खूबसूरत लाल-हरा, नीला-पीला, केसरिया-गुलाबी रंग घर पर
तैयार कर सकते हैं और वह भी बिल्कुल प्राकृतिक तौर पर!
होली के ये प्राकृतिक रंग पूरी तरह सिर्फ़ सुरक्षित ही नहीं
बल्कि चेहरे और त्वचा के लिए भी लाभदायक माने जाते हैं।
तभी तो यदि होली खेलते हुए गुलाल आँखों में चला भी जाए
तो आप आराम से होली खेलते रहिए और जब त्यौहार का मज़ा पूरा
हो जाए, तब आराम से घर जाकर आँखें धो लीजिए। चलिए, हम आपको
गुलाल बनाना सिखाते हैं जो बाज़ार के रासायनिक गुलाल से
कहीं ज़्यादा बेहतर होगा और साथ ही सुरक्षित भी। तो आइए,
खुद तैयार किए गए इस गुलाल से परिवार के साथ-साथ दोस्तों
को भी सराबोर कीजिए और होली का आनंद उठाइए!
लाल
गुलाल तैयार करने की विधि
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पिसा हुआ लाल चंदन
जिसे रक्तचंदन या लाल चंदन भी कहा जाता है, खूबसूरत लाल
रंग का होता है। साथ ही यह त्वचा के लिए भी अच्छा होता
है। यह सूखा रंग गुलाल की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है।
इसके अलावा इस रंग के दो छोटे चम्मच पाँच लीटर पानी में
उबाले जाएँ, तो उससे बीस लीटर रंगीन पानी तैयार किया जा
सकता है।
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छाया में सुखाए गए
गुड़हल या जवाकुसुम के फूलों के पाउडर से लाल रंग तैयार
किया जा सकता है।
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सिंदूरिया के ईंट से
लाल बीजों को भी बतौर रंग या गुलाल इस्तेमाल किया जा
सकता है।
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लाल अनार के छिलकों को
पानी में उबाल कर भी सुर्ख लाल रंग बनाया जा सकता है।
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आधे कप पानी में दो
चम्मच हल्दी पाउडर के साथ चुटकी भर चूना मिलाइए। फिर एक0
लीटर पानी के घोल में इसे अच्छी तरह मिलाइए और आपका होली
का रंग तैयार।
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टमाटर और गाजर के रस
को भी पानी में मिला कर रंग तैयार किया जा सकता है।
प्राकृतिक रूप से तैयार हरा गुलाल
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मेहँदी या हिना पाउडर
को भी बतौर गुलाल इस्तेमाल किया जा सकता है। साथ ही
इसमें पानी मिला कर रंग तैयार किया जा सकता है, पर इस
रंग के दाग आसानी से नहीं छूटते। यह दीगर बात है कि यह
रंग बालों के लिए बहुत लाभदायक होता है।
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गुलमोहर के पत्तों को
अच्छी तरह सुखा कर पीस लें और आपका प्राकृतिक हरा गुलाल
तैयार।
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गेहूँ की हरी बालियों
को अच्छी तरह पीसकर गुलाल तैयार करें।
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पालक, धनिया या पुदीने
के पत्तों के पेस्ट को पानी में मिलाकर रंग तैयार किया
जा सकता है।
गुलाबी
चटक
केसरिया गुलाल
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पारंपरिक तौर पर भारत
में यह चटक केसरिया गुलाल टेसू के फ़ूलों से बनता है,
जिसे पलाश भी कहा जाता है। टेसू के फूलों को रात भर के
लिए पानी में भीगने के लिए छोड़ दीजिए। और सुबह रंग का
आनंद उठाइए! कहा जाता है इस पानी में औषधिय गुण होते
हैं।
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चुटकी भर चंदन पाउडर
एक
लीटर पानी में मिलाने पर केसरिया रंग तैयार हो जाता है।
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केसर की पत्तियों को
कुछ समय के लिए दो चम्मच पानी में भीगने के लिए छोड़ दें।
फिर उन्हें पीस लें। अपने इच्छानुसार गाढ़ा रंग पाने के
लिए धीरे-धीरे पानी मिलाएँ, ताकि ज़्यादा पानी से रंग
फीका या हल्का न हो जाए! यह त्वचा के लिए अच्छा तो होता
ही है साथ ही साथ बहुत महँगा भी होता है।
रंग बनाने की इन ढेर
विधियों में से अगर आपको कोई भी पसंद ना आए तो भी निराश
होने की आवश्यकता नहीं है। पर्यावरण के प्रति संवेदनशील
कुछ संस्थाओं ने प्राकृतिक रंगों को पैकेटबंद कर के भी
बेचना शुरू कर दिया है। इन्हीं में से एक संस्था है
कल्पवृक्ष जिसके विषय में जानना और इनसे रंग खरीदना एक
रोचक अनुभव हो सकता है। |