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						उड़ान में कान दर्द
 दीपिका जोशी
 
 हवाई 
						उड़ानों के दौरान कान में दर्द की शिकायत एक आम बात है। 
						कुछ लोगों को कान में अजीब सी हरकत भी महसूस होती है। कई 
						बार ज्यादा दर्द, कान बन्द होना या सुनने में तकलीफ भी 
						होती है। पर सबकुछ सामान्य समझ कर हम भूलने की कोशिश करते 
						हैं। इन कठिनाइयों के बारे में मेरी डाक्टर मित्र ने 
						महत्वपूर्ण सुझाव दिये। इनका पालन करते हुए हवाई उड़ानों 
						में कान से संबंधित असुविधाओं से बचा जा सकता है।
 कान-दर्द का कारण
 
 उड़ान के समय कान में होने वाली असुविधा का मुख्य कारण है 
						कान के मध्य भाग पर पड़ने वाला दबाव। कान का यह मध्य भाग 
						हवा भरी बंद गुफा जैसा होता है। इस गुफा में स्थित हवा का 
						दबाव हमारे वातावरण की हवा के दबाव के साथ संतुलन बनाता 
						है। यह सम्भव होता है युस्टाशियन ट्यूब द्वारा जो कान के 
						मध्य भाग को नाक के पिछले हिस्से को जोड़े रखती है। अगर 
						कान की गुफा और वातावरण के जब हम निगलते हैं या जम्हाई 
						(उबासी) लेते हैं, यह ट्यूब खुलती है और हवा को कान के 
						मध्यभाग में हल्की सी आवाज़ के साथ अन्दर जाने देती है। 
						(यह आप इस समय भी कर के देख सकते हैं) इस कारण कान के 
						अन्दर और बाहर का दबाव एक जैसा रहता है।
 
 हवाई उड़ान में जहाज़ की बदलती हुई ऊँचाई के अनुसार बाहर 
						का दबाव तेज़ रफ्तार से बदलता है, विशेष रूप से जब हवाई 
						जहाज उतरनेवाला होता है। ऐसे समय में युस्टाशियन ट्यूब कान 
						की हवा के दबाव को बार-बार तेज़ी के साथ बाहरी हवा के दबाव 
						के साथ संतुलित करती है। कान की गुफा में भीतर और बाहर से 
						पड़न्ने वाले विपरीत दबावों के कारण अजीब सी आवाज़ें आती 
						हैं। ऐसे समय निगलने की प्रक्रिया करने से दबाव को संतुलित 
						करने में मदद मिलती है।
 जब युस्टाशियन ट्यूब अपना काम ठीक से नहीं कर पाती और दबाव 
						का संतुलन ठीक नहीं बनता तो में दर्द या कान बन्द होने का 
						अहसास होता है।
 
 दर्द से बचने के उपाय
 
 निम्नलिखित नुस्खे हवाई उड़ानों को सुखदायक बना सकते हैं :
 
							
							
							निगलने की प्रक्रिया युस्टाशियन ट्यूब को खोलने वाली 
							मांसपेशियों को जगाये रखती है। च्युइंगम या पेपरमिंट 
							मुँह में रख उसका मीठा रस बार बार निगलने की क्रिया 
							हवा दबाव समतोल रखने में मददगार साबित होगी।
							
							जम्हाई लेना भी उतना ही फायदेमंद हैं लेकिन 
							प्रत्यक्षरूप में यह इतना सम्भव नहीं हो पाता।
							हवाई 
							जहाज के उतरते समय जहां तक हो सके, सोयें नहीं, जागते 
							रहें क्योंकि नींद में निगलने की क्रिया करना संभव 
							नहीं।
							जब 
							निगलने या जम्हाई लेने से काम न बने तो नाक को दो 
							उँगलियों से बन्द कर मुँह से गुब्बारा फुलाने की तरह 
							गालों को फुलाएँ। ज्यादा जोर ना दें। जब आप ठक् सी 
							आवाज़ सुनें तो समझिये आप जीत गये। आपको शायद हवाई 
							जहाज उतरने के समय यह २-३ बार करना पड़े। 
						छोटे बच्चों 
						के लिये छोटे 
						बच्चे स्वयं आपने कानों को खोले रखने में मदद नहीं कर 
						सकते। यदि वे सो रहे हैं तो उनकी निगलने की प्रक्रिया बंद 
						रहती है, जिसकी वजह से युस्टाशियन ट्यूब का कार्य बन्द 
						रहता है। इसके कारण दबाव का असंतुलन बना रहता है और कान 
						बंद होना या दर्द शुरू हो जाता है। दूध की बोतल चूसते 
						रहने, चुसनी मुँह में रखने या स्तनपान करते हुए यूस्टाशियन 
						ट्यूब ठीक से काम करती है और वे स्वस्थ अनुभव करते हैं। 
						थोड़े बड़े बच्चे च्यूइंगम या मीठी गोलियाँ चूस सकते हैं।
						 
						उड़ान में 
						सर्दी-ज़ुकाम  यात्री 
						को यदि सर्दी-ज़ुकाम है तो उड़ान में इसके बढ़ने की 
						संभावना रहती है। साइनस, नाक से संबंधित संक्रमण या बुखार 
						के समय हवाई यात्रा करना पीड़ादायक हो सकता है। नाक बंद 
						होने से समीप ही स्थित युस्टाशियन ट्यूब भी बन्द हो सकती 
						है जिस वजह से कान का दबाव संतुलित हो नहीं पाता। इससे 
						वहां शून्य बन जाता है और कान का पर्दा अंदर की ओर खिंच 
						जाता है। ऐसी अवस्था में सुनाई देना कम हो जाता है। कभी 
						कभी कान की अंदर की सतह पर होने वाला द्रव इस शून्य में आ 
						जाता है जिसे 'एयरो-ओटीटीस' कहते हैं जिसके इलाज़ के लिये 
						डॉक्टर के पास भी जाना पड़ता है। कान पर हवा का दबाव 
						संतुलित करने के लिये जरूरत पड़ने पर वह द्रव खींचकर 
						निकालना भी पड़ सकता है। इसलिये यदि आपको सर्दी-जुकाम या 
						नाक की कोई भी तकलीफ हैं तो हवाई यात्रा स्थगित करना या 
						तिथि बढ़ा देना उचित होगा। 
						क्या दवाएँ 
						भी ली जा सकती हैं ? 
						डिकांजेस्टेंट गोलियाँ या नाक के लिये स्प्रे हवाई जहाज 
						उतरने से एक घंटा पहले लेना लाभदायक हो सकता है। इसे लेने 
						से नाक की अंदरूनी सतह संकुचित होगी और युस्टाशियन ट्यूब 
						का कार्य सही रखने में मदद मिलेगी।नाक की तकलीफों में सफर शुरू करनेसे पहले दवाइयाँ लेना 
						शुरू कर देना चाहिये। जिन्हें दमा, दिल की बीमारी, रक्तचाप 
						या थायराइड जैसी बीमारी है वे भी डाक्टर की सलाह से उड़ान 
						के लिये दवाइयाँ ले सकते हैं।
 
						अन्त में - हवाई सफर 
						का भरपूर आनन्द लें! जरूरी दवाओं का ध्यान रखें, खाएँ, 
						पीएँ, निगलें या जम्हाई लें ताकि आपके कान हवाई जहाज चढ़ते 
						उतरते समय सही रहें! 
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