सीप सौन्दर्य
-गृहलक्ष्मी
मोती सीप का अनुपम सौंदर्य है। यह महिलाओं को आनंदित
करता है, पुरूषों को आकर्षित करता है, अमूल्य रत्न है और
अविस्मरणीय उपहारों में गिना जाता है।
यह संसार का पहला ही नहीं सर्वाधिक लोकप्रिय रत्न भी है।
प्राचीन मिस्र में मोती राजा महाराजाओं के साथ दफनायी
जाने वाली महत्वपूर्ण वस्तुओं में था। यूनान में उनके
देवता एफ्रोडाइट को और रोमनों की देवी वीनस को मोती अर्पण
करने की प्रथा थी। भारत में विवाह में के पश्चात नये जीवन
का आरंभ मोती के गहने पहनकर होता था। मध्य पूर्व देशों में
विश्वास था कि मोती भगवान के आँखों से गिरनेवाले अश्रु की
बूँदों से बनता है और चीनियों का मानना था कि बादल और
ड्रैगन की लड़ाई में मोती आसमान से गिरते हैं।
सर्वकालिक मोती की लोकप्रियता में आज भी कमी नहीं परंतु
आजकल बादलों की लड़ाई या भगवान के आँसुओं से बननेवाले
मोती की राह नहीं देखनी पडती। नकली या कृत्रिम मोती बाज़ार
में आसानीसे मिलते हैं। इनसे दिल को लुभाने वाले नये फैशन
के गहने खूब बनते हैं और पहने भी जाते हैं। मोती की
लोकप्रियता का एक कारण यह भी है कि यह तमाम रंगों में,
लगभग सभी दामों में और अनेक आकारों में मिलता है। साथ ही
यह एक पारंपरिक रत्न भी है।
मोती तीन तरह के होते हैं :
नैसर्गिक,
कृत्रिम,
और नकली।
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नैसर्गिक मोती सीपियों में रहनेवाला ऑयस्टर अपने द्रव्य की
एक के ऊपर एक चमकीली परत बनाकर मोती को तैयार करता है। यह
परतें सख्त होने पर मोती बन जाती है। ये मोती अत्यंत
दुर्लभ और बहुमूल्य होते हैं।
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कृत्रिम मोती बनाते समय छोटा सा सीप का कण या छोटा सा
मोती सीप के अन्दर रखा जाता है। धीरे धीरे इस टुकड़े पर
मोती की परत बनना शुरू हो जाती है। एक मोती बनने में ३ से
५ साल तक लग सकते हैं। मोती की बाहरी परतों और उसकी चमक पर
आंकी जाती है - मोती की कीमत!
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नकली मोती काँच
या प्लास्टिक के बने होते हैं। अच्छे नकली मोती काँच
के बने होते हैं जिन्हें असली मोती के घोल में डुबा कर
चमकदार बनाया जाता है। यह प्रक्रिया बार बार दोहराई
जाती है जिससे चमकीली परत मज़बूत
और दीर्घकालिक हो। लेकिन
अनेक प्रकार के रसायनिक रंगों का प्रयोग भी प्रचलन में
है।
मोती
की सुंदरता और कीमत पहचानने के लिए कुछ चीजें ध्यान में
रखनी चाहिए।
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चमक -
मोती किसी भी रंग का हो चमकदार मोती अच्छा होता है और
उसकी कीमत भी अधिक होती है।
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सतह - चिकनी सतह का मोती सर्वोत्तम किस्म का माना जाता है।
कुछ दाग या उपरी सतह फटी हुई हो तो उसकी कीमत कम हो जाती
है।
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आकार - मोती का आकार जितना ही सुडौल और गोलाकार होता है
उसका मूल्य उतना ही अधिक होता है।
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माप - मोती का आकार उसके व्यास से मिलीमीटर में नापा जाता
है। साधारणत: १ मिमि से लेकर २० मिमि तक के मोती मिलते
हैं।अन्य विशेषताओं के साथ ही मोती यदि आकार में बड़ा है
तो उसकी कीमत बहुत ही बढ़ जाती है। ७ - ८ मिमि के मोती
आसानी से उपलब्ध हो जाते है।
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