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घर परिवार गपशप

रंग लाती है हिना
- गृहलक्ष्मी  

सावन हो, तीज-त्योहार हो या विवाह का अवसर हिना या मेंहदी के बिना सूना है। हाथों पैरों और शरीर को अलंकृत करने का यह पारंपरिक तरीका कब शुरू हुआ इसके बारे में कोई निश्चित सूचना प्राप्त नहीं होती पर इतना तो निश्चित है कि फारस से आई इस छोटी सी पत्ती ने भारत की सांस्कृतिक धरोहर पर अपना गहरा रंग छोड़ा है।

केवल भारत उपमहाद्वीप में ही नहीं मेंहदी अरब दुनिया और अफ्रीका में भी काफी लोकप्रिय है। जहां भारतीय मेंहदी के नमूने अपने लयदार सघन रेखांकन की अलग पहचान रखते हैं वहीं अरबी मेंहदी में हाथ और पैरों पर कम घने और थोड़े बड़े फूलदार नमूने अधिक लोकप्रिय हैं। अफ्रीकी नमूनों में ज्यामितीय नमूनों के आकार, कोण और अपेक्षाकृत मोटी लकीरों को पसंद किया जाता है।

अफ्रीकी मेंहदी के नमूने गहरे काले रंग में बनाए जाते हैं जबकि भारतीय और अरबी महिलाएँ गहरे लाल या भूरे रंग के नमूनों को अधिक पसंद करती हैं। सच तो यह है कि शरीर के तापमान का मेंहदी के रंग पर प्रभाव पड़ता है और इसके अनुसार एक व्यक्ति की मेंहदी का रंग दूसरे व्यक्ति की मेंहदी के रंग से अलग हो सकता है।

देश या अवसर कोई भी हो मेंहदी आज एक विकसित कला है और हर देश की सौंदर्य-संस्थाओं में इसका बोलबाला है। न केवल सौंदर्य बल्कि इसके आयुर्वेदिक गुणों के कारण भी इसे त्वचा और बालों के लिये भी उपयोगी माना गया है।

सावन का आलम है और तीज - त्योहारों का मौसम! कुछ सरल और सुन्दर नमूने यहाँ प्रस्तुत हैं क्यों न आप भी इन्हें आज़माएँ और मौसम के रंग में रंग जाएँ।

 
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