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खुले मे
उन जीवों का नजर आना जिनसे हमें डर लगता हो, एक अलग ही तरह
का रोमांच देता है। अब इस जीव को ही देख लो। मुझे जो पता
था उस हिसाब से इसे गिरगिट होना था। मेरी समझ आधी अधूरी या
फिर गलत होती है इसका अहसास है मुझे। इस कारण इंटरनेट से
अपनी सोच का मिलान कर लेता हूँ। इंटरनेट ने मुझे गलत कहा
और बताया कि यह एक तरह की छिपकली है। साथ मे उसने दोनो के
बीच का फर्क भी समझा दिया।
मैं अकेला ही नहीं था इसे देखने के लिए। पाँच छः और भी
दर्शक थे। एक जोड़ा तो इसका विडियो भी बना रहा था। मजा तो
तब आया जब उसने झटके से अपनी दिशा बदल कर मुँह मेरी तरफ कर
दिया और मैं डरकर उचका और बहुत पीछे हो गया। इसके बावजूद
मैं चार पाँच मिनट उसके आसपास बना रहा। अच्छा लग रहा था
उसको आसपास रेंगते हिलते देख कर।(सिडनी बॉटनिकल गार्डन की
एक रोचक घटना)
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रतन
मूलचंदानी
१ अगस्त २०२३ |