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कलम गही नहिं हाथ   

 मेट्रो में मछली मना है-

आज एक ऐसी चीज के बारे में जो सारे विश्व में दुबई के अतिरिक्त बहुत ही कम स्थानों पर देखने को मिल सकती हैं।

बायीं ओर का सूचना बोर्ड देख रहे हैं? इसे दुबई मेट्रो स्टेशनों के बाहर देखा जा सकता है। जब मैंने इसे पहली बार देखा तो यह चिह्न मेरे लिए बहुत सारे प्रश्न छोड़ गया। हम सभी जानते हैं कि मछलियों से वास्तव में बहुत दुर्गंध आती है, लेकिन कितनी बार लोगों ने मेट्रो में मछलियों को लाने के लिए नगरपालिका से शिकायत करने और उन पर प्रतिबंध लगाने के लिए कहा होगा? शायद बहुत अधिक, और उम्मीद है कि यह उनकी शिकायत का असर है।

पर यह शिकायत मेट्रो के अधिकारियों तक पहुँचती कैसे है? आरटीए (रोड ऐंड ट्रांसपोर्ट अथारिटी) की रेल एजेंसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अहमद अल हम्मादी का कहना है, "हम ग्राहकों के सुझावों और शिकायतो को ध्यान में रखते हैं और समय-समय पर इसमें सुधार करते है। प्राधिकरण के ग्राहक सेवा विभाग का कॉल सेंटर भी प्रतिक्रिया प्राप्त करता है, इसके अतिरिक्त एक स्थानीय सरकारी समूह एवं दुबई सरकार यात्रियों का सर्वेक्षण कराते हैं और आरटीए को निष्कर्ष भेजते हैं।"

अरबी लोग आम तौर पर मछली खाना बहुत पसंद करते हैं। यह उनके मुख्य आहार का महत्वपूर्ण हिस्सा है इसलिये अरबी लोगों को मछली से इतनी शिकायत होना संभव नहीं दिखता। वैसे भी मेट्रो ट्रेन में खाने पीने की अनुमति नहीं है। हालाँकि स्टेशन और प्लेटफार्म पर खाने पीने की व्यवस्था है। मैंने ध्यान तो नहीं दिया पर लगता है कि मेट्रो स्टेशनों के भीतर निर्मित खाने पीने की दूकानों पर मछली के व्यंजन नहीं मिलते होंगे।

एक आश्चर्य की बात यह भी है कि जहाँ अपने घरों में शेर चीते पालने में लोगों को कोई तकलीफ नहीं होती वहाँ मछली बेचारी से इतना कष्ट क्यों? शेर, चीतों और बाघों से सम्बंधित जानकारी वहाँ किसी बोर्ड पर दिखाई नहीं देती। फिर मुझे समझ में आ गया कि शेर-चीते पालने वाले लोग अभिजात वर्ग के होते हैं और वे मेट्रो में सवारी नहीं करते।

दुबई मछली बाजार के बगल में स्थित पाम देअरा स्टेशन के नीचे एस्केलेटर पर एक संकेत है, जिसमें लाल कटे हुए घेरे से घिरी एक मछली का ग्राफिक डिज़ाइन है, साथ में यह सूचना अंकित है कि "मेट्रो में मछली ले जाने की अनुमति नहीं है"। कानून तोड़ते पाए जाने पर सौ दिरहम (लगभग दो हजार तीन सौ रुपये) का जुर्माना लगता है। नियमानुसार यह जुरमाना एक सौ दस या एक सौ बीस रुपये भी हो जाता है। यह नियम मुख्य रूप से किसी भी मेट्रो स्टेशन या मछली बाजार से मरी हुई मछलियों को ले जाने से संबंधित है। हालाँकि जीवित मछलियाँ भी मेट्रो में यात्रा नहीं कर सकतीं क्योंकि वे ऐसे नियमों के अंतर्गत आती हैं जो पालतू जानवरों को मेट्रो के लिये प्रतिबंधित करता हैं। (क्या आपकी मेट्रो में भी मछली मना है नीचे कमेंट में बता सकते हैं)

इस सबके बावजूद जोखिम लेने वाले दर्जनों लोग हर महीने स्टेशन पर पकड़े जाते हैं, "मछली ले जाने" के जुर्माने से भरी रसीद बुक दिखाते हुए एक स्टाफ सदस्य ने कहा।
एक भारतीय मछली प्रेमी ने शिकायत की- ''अगर मेट्रो में मछली की अनुमति नहीं है तो उन्होंने मछली बाजार में मेट्रो स्टेशन पर यह धमाका क्यों किया? पहले से कोई सूचना नहीं थी। मैं नाराज हूँ। मैं यहाँ मेट्रो से आया हूँ और मछली खरीदना चाहता हूँ लेकिन मैं मछली को वापस अपने साथ कैसे ले जाऊँ?"
बाजार में मछली बेचने वालों ने कहा कि एक विकल्प यह है कि मछली को भून लिया जाए - जिसकी कीमत एक किलो के लिए पाँच दिरहम है, और बाजार में ही खाकर खत्म कर दिया जाए। दूसरों ने बस या टैक्सी से इसे घर ले जाने का सुझाव दिया।

एक अन्य मेट्रो स्टेशन अल गुबाइबा के बगल में कैरफोर सुपरमार्केट में ताज़ी मछलियाँ अनुरोध पर सीलबंद बैग में पैक की जाती हैं। फिश काउंटर के एक कर्मचारी ने बताया कि ये बैग मेट्रो की ओर जाने वाले खरीदारों के बीच लोकप्रिय हो गए हैं। क्योंकि इससे मछली की गंध बाहर नहीं जाती और इन्हें बैग में रखकर ले जाना सुविधाजनक है।

दुबई में मछली पकड़ने और उसके व्यापार का धंधा बहुत से लोग करते हैं। यह बोर्ड मछुआरों को मछलियों के साथ मेट्रो में प्रवेश से रोकता है। काफी शौकिया लोग और पर्यटक भी समुद्र के किनारे मछली पकड़ने का आनंद लेते हैं, वे भी पकड़ी हुई मछलियों के साथ मेट्रो में यात्रा नहीं कर सकते हैं। जिन्होंने मुंबई मेट्रो की यात्रा की है वे जानते हैं कि मछलियों के साथ यात्रा करना करना कैसा होता है। मुंबई की मेट्रो हवादार और खुली होती है जबकि दुबई की मेट्रो वातानुकूलित और हर तरफ से बंद है। तो इन सब कारणों से जैसा कि कि बोर्ड पर लिखा है मेट्रो के अंदर मछली ले जाने की अनुमति नहीं है। (अरे दुबई को अनुमति की सही वर्तनी सीखने की जरूरत है)

एक और बात पर ध्यान गया किसी का? यह सूचना नीचे हिंदी में भी लिखी गयी है। बहुत से लोग समझेंगे कि मछली लेकर यात्रा करने वालों में अधिकतर लोग भारतीय होते होंगे, इसी लिये यहाँ हिंदी का प्रयोग किया गया है। लेकिन यह विचार बहुत सही नहीं है। दुबई और सारे इमारात में सभी सार्वजनिक संदेश तीन या अधिक भाषाओं में देखे जा सकते हैं।
विश्वास न हो तो यह लेख भी देख लें-  

मेट्रो स्टेशन के बाहर लगी एक सूचना

पूर्णिमा वर्मन
१ मई २०२३

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