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कलम गही नहिं हाथ  
 

 

 

रंग बरसे!

होली का हुलास प्रवासियों को हर जगह होली के रंग में डुबो देता है। देखिए देखिए यकीन होता है कि यह फोटो दुबई में खींचा गया है? नहीं होता न? पर यह सच है। दुबई की होली भारत के किसी भी होली कार्यक्रम का मुकाबला कर सकती है। हंगामा ऐसा जबरदस्त कि देसी-विदेसी हर व्यक्ति को होली खेलने पर विवश कर देता है। यह और बात है कि होली, होली के दिन नहीं खेली जाती। उसके पास पड़ने वाले शुक्रवार को खेली जाती है जो यहाँ साप्ताहिक छुट्टी का दिन भी है। अब चूँकि इस बार होली दो शुक्रवारों के बिलकुल बीच में पड़ रही है तो इस नियम के अनुसार कुछ स्थानों पर हल्की फुल्की होली १४ मार्च को खेल ली गई है और कुछ स्थानों पर २१ मार्च को खेली जाएगी।

होली खेलने से पहले होली की तैयारी होती है। होली दहन, पूजा धार्मिक अनुष्ठान, पकवानों की सामग्री, गेहूँ की बाली, पान, सुपारी, गंगाजल आदि के लिये आदिल, मधुर और चोइतराम जैसी भारतीय व्यापारियों की दूकानें इमारात के हर शहर में हैं। इनमें सारा सामान मिल जाता है। खोये के लिये मिठाइयों की दूकानें हैं। हालाँकि हर मिठाई की दूकान पर खोया नहीं मिलता लेकिन हर मिठाई की दूकान पर खोया बेचने वाली नजदीकी दूकान का पता जरूर मिल जाता है। इसके बाद जरूरत होती है सफेद कपड़ों की। ज्यादातर लोग इस अवसर पर पैंट किसी भी रंग की पहनते हैं लेकिन टी शर्ट तो सफेद ही होनी चाहिये ऐसा विचार रखते हैं। इसके लिये यहाँ विशेष रूप से दस दिरहम वाली टी शर्ट मिलती हैं। जिन्हें होली वाले शुक्रवार से पहले ही खरीद लिया जाता है।

कुछ भारतीय संस्थाएँ होली खेलने का झमाझम इंतज़ाम करती हैं।  इनमें इंडियन असोसियेशन प्रमुख है। छोटे समूहों में तो होली कई जगह खेली जाती हैं लेकिन बड़े समूहों में मिलकर होली खेले जाने वाले प्रमुख स्थान हैं दुबई क्रीक पार्क, अवीर और वंडरलैंड। यहाँ हम जाने-अनजाने हर व्यक्ति के ऊपर रंग डाल सकते हैं। सभी जगह गाने बजाने और नाचने का इंतज़ाम होता है। डीजे और ढिंग चिक संगीत जम कर होली का मज़ा देते हैं। खाने-पीने और रंग का पक्का इंतज़ाम होता है। मजाल है कभी कोई कमी पड़ जाए। तरह तरह की पिचकारियाँ दूकानों में बिकती हैं और हर बच्चे के हाथ में नजर आती हैं। जमीन पर रंग की कीच मच जाती है। लोग जमकर आनंद उठाते हैं। होली खेलने के बाद नहाने और कपड़े बदलने की भी व्यवस्था रहती है, साथ ही पुलिस की भी। सभी कार्यक्रमों के शुरू होने का समय दस बजे होता है जो लगभग एक दो बजे तक हंगामे के साथ जारी रहता है। अखबार और रिपोर्टर भी इसको प्रमुखता से प्रकाशित करते हैं। देखना चाहें तो पिछले साल के कार्यक्रम की इसकी कुछ झलकियाँ यहाँ देखी जा सकती है। वंडरलैंड में आयोजित कार्यक्रम की एक झलक यहाँ एक वीडियो में मिल जाएगी।

होली पर गीत संगीत की परंपरा भी है। इनका आयोजन आमतौर पर रात में होता है और देर रात तक चलता रहता है। संगीत भारतीय ही होता है चाहे वह फ़िल्मी हो, शास्त्रीय हो या फिर जैज़। कार्यक्रमों में भारतीय कवियों के कवि सम्मेलन-मुशायरे, भारतीय फिल्मी सितारों के कार्यक्रम, गायकों के कार्यक्रम, टीवी स्टारों के कार्यक्रम आदि प्रमुख रूप से आयोजित होते हैं। होटलों के बड़े खुले मैदानों पर डीजे, संगीत नृत्य, खाना-पीना, रंग-गुलाल आदि के कार्यक्रमों की परंपरा भी है। इस वर्ष एक कार्यक्रम की बड़ी चर्चा है जिसने अपने वीडियो जारी कर के लोगों को आकर्षित करने में काफी सफलता पाई है। इस कार्यक्रम का एक फेसबुक पेज भी है। इक्कीस मार्च को होने वाले कार्यक्रम का इसमें एक वीडियो जारी किया गया है, जो किसी फिल्म के ट्रेलर से कम आकर्षक नहीं। संगीत कार्यक्रमों के साथ साथ स्टैंडिंग कामेडी का भी विशेष महत्व होता है इसलिये इसलिये राजू श्रीवास्तव से लेकर भारती तक कोई न कोई इन कार्यक्रमों में शामिल जरूर होता है।

होली उमंग, उत्साह और मेलभाव का पर्व है यह  उमंग, उत्साह और मेलभाव साल भर बना रहे इसी कामना के साथ-

पूर्णिमा वर्मन
१७ मार्च २०१४
purnima.varman@gmail.com

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