कलम गही नहिं हाथ
हरियाली में छुपा आतंक
दमास हरी पत्तियों
के
अप्रतिम सौदर्य का विस्तृत साम्राज्य है, दमास हरीतिमा का उपहार है, दमास इमारात की शान है। दमास एक ऐसा वृक्ष है जिसने इमारात के शहरों में हरियाली का अंतहीन
सागर उगाया है, जिसने रेत भरे इन शहरों को जीवन दायिनी आक्सीजन से
सींचा है। यह यहाँ पर उगने वाले कुछ एक ऐसे पेड़ों में से है, जिनसे
मेरा परिचय यहाँ आने से पहले भारत में नहीं हुआ था।
शारजाह हवाईअड्डे से बाहर निकलते ही सड़क
के दोनो ओर यह वृक्ष हरियाली की ऐसी घनी दीवार बनाता है कि दूर दूर तक
फैला रेत का सागर आँखों से पूरी तरह छुप जाता है। यही नहीं वह रेत के
मैदानों से आने वाली धूल को भी अपनी दीवार से रोक लेता है और सड़कें
साफ सुथरी बनी रहती हैं। अन्य पेड़ों से अलग इस पेड़ की शाखाएँ बिलकुल
नीचे से फूटती हैं और जमीन से १५-२० मीटर की ऊँचाई तक घनी पत्तियों से
भर जाती हैं। अपने स्वाभाविक रूप में इसकी चौड़ाई भी काटे न जाने पर १० मीटर से
भी अधिक हो सकती है। इसकी जड़ें नमकीन रेतीली जमीन में मजबूत पकड़
बनाते हुए धरती की गहरी सतहों से हर तरह का पानी ढूँढ लाती हैं और पेड़
को नमकीन मिट्टी-पानी पर भी जीवित और हरा भरा रखने में सहायक होती हैं।
इस वृक्ष की पत्तियाँ बहुत ही कम लगभग न के बराबर झड़ती हैं। इस पर
पतझड़ नहीं आता। हर परिस्थिति में हरा-भरा और सुंदर बने रहने की अनुपम
मिसाल है दमास। तेजी से बढ़ने वाले इस पेड़ को २ फुट की ऊँचाई से लेकर
१५-२० मीटर की ऊँचाई तक किसी भी आकार में तराशा जा सकता है। यह सूखता
नहीं और हर आकार में स्वस्थ व आकर्षक बना रहता है। अनेक स्थानों पर इस
पेड़ के नीचे के तने को साफ कर के इसका प्रयोग एक छायादार वृक्ष के रूप
में भी किया जाता है। इसकी घनी और ठंडी छाया का आनंद तो बस एक इमाराती
ही समझ सकता है। दमास की इन्हीं विशेषताओं के कारण इमारात के सभी शहरों
को सजाने, पीछे की बस्ती या रेगिस्तान को छुपाने, यानि हर तरह की
लैंडस्केपिंग में इनका खूब इस्तेमाल हुआ है। इस पेड़ के रूप, रंग और
स्वभाव ने रेतीले इमाराती शहरों के हरे
भरे विस्तार में जान फूँक दी है।
इसकी इन खूबियों से प्रभावित होकर सामान्य
जनता ने भी इसे अपने घरेलू बगीचों और घर के आसपास बहुतायत में रोपना
शुरू कर दिया। और यहीं से शुरू हुआ आतंक का आरंभ!
एक नागरिक ने पाया कि उसके पानी का बिल जो
लगभग ८०० दिरहम आया करता था अचानक ८००० दिरहम हो गया। दूसरे नागरिक को पता चला कि उसके बाथटब में
पानी का निकास बंद हो गया है और किसी प्रकार के ऐसिड या नाली साफ करने
की दवा से कुछ भी फर्क नहीं पड़ रहा है। एक नागरिक ने जब कभी-कभी खोला
जाने वाला अपना एक कबर्ड खोला तो उसमें अंकुरित हरा भरा पौधा देखकर
भौचक रह गया। एक अन्य नागरिक ने पाया कि उसके बरामदे का टाइल तीन दिन
के भीतर ही एक इंच ऊँचा उठ गया है... एक मुहल्ले में अचानक बिजली आना
बंद हो गई... कहीं फोन चलने बंद हो गए तो कहीं इंटरनेट लाइनें। समझ में
नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो रहा है। बाद में पता चला कि ये चमत्कार
दमास की अतिशक्तिशाली जीवनी-शक्ति के कारण हो रहे थे। दमास की जड़ें
जमीन के भीतर गहरे स्थापित फोन, बिजली, इंटरनेट की लाइनों वाले मोटे
पाइपों को पार कर हर जगह अधिकार जमा चुकी थीं। वे घर की
नालियों से पानी पीकर बेतहाशा बढ़ रही थीं, वे पाइप लाइनों को तोड़कर
अपनी प्यास बुझा रही थीं, वे घर की दीवारे फोड़कर नये वृक्ष पैदा कर रही थीं।
वे धरती के भीतर से गुजरते बिजली के तारों को तोड़कर आगे बढ़ रही थीं।
कोई भी रासायनिक ऐसिड उनके जाल को तोड़ने में सक्षम नहीं था। जाहिर था कि हर ओर हड़कंप मच गया।
सरकार की ओर से नागरिकों को चेतावनी दी गई
कि वे घरों में दमास के वृक्ष न लगाएँ। बिल्डरों और भवन निर्माता
कंपनियों को आदेश दिये गए कि बस्तियों की लैंडस्केपिंग में दमास का
प्रयोग न किया जाय। ऐसी कंपनियों का निर्माण भी हो गया जो लोगों के
घरों को दमास से मुक्त कराने का काम करती थीं। लेकिन दमास से छुटकारा
पाना भी आसान न था। उसकी जड़ें इतनी मोटी और
मजबूत थीं कि उन्हें काटकर निकालना संभव नहीं था। जितना बड़ा पेड़ ऊपर
दिखाई देता था उससे कई गुना ज्यादा वह जमीन के अंदर था। अधिकतम तापमान
को भी सह लेने वाले और लगभग हर तरह की बीमारियों से अप्रभावित रहने
वाले इस पेड़
के लिये एक विशेष इंजेक्शन तैयार किया गया जिसे तना काट देने के बाद
जड़ों में उतारकर वृक्ष की जीवनी शक्ति को समाप्त किया जा सके ताकि वे कहीं
और से पुनर्जन्म लेकर प्रकट न हो जाएँ। कहना न होगा कि अतिसुंदर
बस्तियों के पुनर्निर्माण, उनकी नाली व्यवस्था और पानी-बिजली-फोन संचरण
को ठीक कराने में सरकार और जनता को अपना धन-समय-शक्ति सभी कुछ पानी की
तरह बहाना पड़ा। दमास की जगह दूसरे कौन से पेड़ लगाए जाएँ उसके लिये
पूरा विभाग काम पर लग गया।
इस सबके बावजूद इमारात की जनता और इस वृक्ष
के बीच न तो संबंध बिगड़े, न ही दमास के प्रति घना जमा प्रेम सूखा।
बड़े-बड़े घरों वाले अरबियों के बँगलों की बाहरी दीवारों पर दमास की
सदाबहार
हरियाली पुरानी शोभा के साथ आज भी घनी छाया बनकर बिखर रही है। भीमकाय
परिसरों वाले सरकारी भवनों के बाहर वे शान से सावधान खड़े हैं। रेगिस्तान और शहर के बीच जीवनदायिनी हरीतिमा और आक्सीजन की
दीवार बने
वे आज भी पहरा दे रहे हैं... सुंदर सुंदर आकारों में शहरों की सड़कों
पर नागरिकों को लुभा रहे हैं...पार्कों में अपना जादू लुटा रहे
हैं...। फर्क सिर्फ इतना हुआ कि हमने अपने घर
की चारदीवारी पर उनकी कतार खड़ी करने का सपना देखना अब बंद कर दिया
है। कुछ चीजें दूर से ज्यादा सुंदर लगती हैं।
पूर्णिमा वर्मन
१० मार्च २०१४
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