कलम गही नहिं हाथ
चौराहा नौका वाला
नौका वाला चौराहा, बोट राउंडअबाउट,
शिप राउंडअबाउट या कश्तीवाला इशारा, शारजाह का एक शांत मगर महत्वपूर्ण स्थल है। कोई भी टैक्सी
वाला यहाँ तक बिना रास्ता बताए आसानी से पहुँचा देगा।
फव्वारे और चौराहे सभी शहरों में होते हैं
लेकिन इसमें कुछ विशेषताएँ हैं। नगर का यह एकमात्र ऐसा स्थल है जो किसी
देश को समर्पित है। शारजाह का यह राउंड अबाउट १९८०वें दशक के मध्य
निर्मित हुआ था। १९५० के आस पास जब शारजाह का उदय हो रहा था, कुवैत ने
इसके विकास के लिये एक बड़ी राशि अनुदान में दी थी जिससे विद्यालय,
चिकित्सालय, अनेक सामाजिक संस्थानों और सामाजिक आवश्यकताओं की वस्तुओं
/ पार्को, सड़कों, भवनों आदि का निर्माण किया गया था। यह चौराहा शारजाह के प्रशासक ने कुवैत
के प्रति धन्यवाद ज्ञापन के रूप में बनवाया है। शारजाह के शासक डॉ. शेख
सुल्तान बिन मोहम्मद अल कासिमी ने अपनी पुस्तक- "कुवैत का
इतिहास:अब्दुलाह सबाह का जीवन और मृत्यु" में शारजाह के विकास में
कुवैत की भूमिका के लिये बहुत आदर के साथ आभार व्यक्त किया है, साथ ही
शहर के अनेक स्थलों का नाम कुवैत के नाम पर रखा है।
इस चौराहे को भी कुवैत राउंड अबाउट का
सरकारी नाम दिया गया है। लेकिन बहुत ही कम लोग इसे कुवैत राउंड अबाउट
कहते हैं बल्कि इसके बाद वाला एक चौराहा जहाँ कुवैत अस्पताल है उसका
नाम अनजाने में कुवैत राउंड अबाउट हो गया है।
इस चौराहे में सबसे रोचक बात यह है कि नाव
के दोनों ओर बनी हुई एक दीवार के बाद दोनों ओर जो दो दो खजूर के पेड़ लगाए
गए हैं, वे पिछले अठारह साल से जैसे के तैसे हैं। न तो
लंबे हुए, न सूखे न झरे। एक बिलकुल सीधा एक थोड़ा तिरछा समान दूरी
पर एक सा कोण बनाए हुए। न जाने कौन सी विद्या के किस संस्थान से ऐसी
अजर-अमर-अटल मुद्रा की बूटी लेकर आए है! इसको ठीक से देखने के लिये
यह वीडियो
देखा जा सकता है।
नाव के दोनों ओर बनी दीवार को ध्यान से
देखें तो सुनहरे रंग में उभरे हुए कुछ बर्तन और अन्य सामान दिखाई
देंगे। ये अरबी लोक जीवन में रोज काम आने वाली कुछ वस्तुएँ हैं। बायीं
ओर की दीवार के बीच में तीन मीनारें हैं। दो बीच में से गोल हैं और एक
सीधी नुकीली। सालों तक मैंने यह जानने की कोशिश नहीं की कि आखिर ये हैं
क्या। लेकिन २००३ में कुवैत में रहने वाली हमारी सहयोगी दीपिका जोशी जब
शारजाह आईं तो उनकी निगाह से ये मीनारें अछूती न रह सकीं। देखते ही
बोलीं- ये कुवैती टावर यहाँ क्या कर रहे हैं?
तब मुझे पहली बार यह मालूम हुआ कि ये तीन मीनारें कुवैत के सबसे
महत्वपूर्ण स्थल कुवैत टावर की अनुकृति हैं।
बीच में दूर पर गोल गुंबद वाला जो भवन दिख
रहा है वह एतिसलात का है। एतिसलात यानि सरकारी टेलिफोन तंत्र। इस गुंबद
पर बहुत ही छोटे छोटे सितारों जैसे बल्ब लगे हैं जब वे रात में जलते
हैं तो काफी सुंदर दिखाई देते हैं।
एक बात और... इस चौराहे से मेरा घर बस दस
मिनट की पैदल दूरी पर है...
हाँ ऊपर के चित्र को क्लिक कर के बड़ा किया जा सकता है। यह चित्र यहाँ
के अँग्रेजी अखबार गल्फ टुडे के प्रसिद्ध छायाकार कमल कासिम ने खींचा
है। भई, ऐसे बादल इमारात के आसमान पर सालों में एक बार दिखते हैं तो
बड़े बड़े कलाकार कैसे यह अवसर छोड़ दें?
पूर्णिमा वर्मन
२४ फरवरी २०१४
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