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कलम गही नहिं हाथ  


शारजाह प्रकाश उत्सव

शारजाह आजकल रोशनी में नहा रहा है। सड़कें और पार्क तो सजाए ही गए हैं, शहर के नौ आलीशान भवनों पर प्रकाश और संगीत का एक विशेष रोमांचक खेल जारी है।

हम सबने भारत में लाइट एंड साउंड नाम की नाट्य प्रस्तुतियाँ देखी हैं। यह वैसी कोई गंभीर ऐतिहासिक प्रस्तुति नहीं, बल्कि आधुनिक तकनीक का रोचक कमाल है। एक बड़े-से भवन को पूरा अँधेरा कर के दूर कहीं से उस पर प्रकाश डाला जाता है। प्रकाश इस प्रकार चलता है कि भवन की आकृति ही बदल जाती है। कभी खंभों की जगह दरवाजे और दरवाजों की जगह खिड़किया नजर आती हैं तो कभी सादे खंभों पर नक्काशी। कभी पूरी इमारत ताश के पत्तों की तरह गिरती दिखती है तो कभी पानी के फव्वारों की तरह ऊपर को उठकर खड़ी हो जाती है। संगीत इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कहना न होगा कि शहर को लोगों को एक नया तमाशा मिला है और लोग उसका आनंद उठा रहे है। यों तो यह बिलकुल नया नहीं, १९११ से जारी है लेकिन तमाशा दिखाने वाले तमाशे का स्वरूप बदलते रहते हैं जिससे दर्शकों में उत्सुकता बनी रहती है।

शारजाह में हर साल यह उत्सव 'शारजाह वाणिज्य एवं पर्यटन विकास प्राधिकरण' के सौजन्य से एक सप्ताह के लिये आता है। इस साल यह ६ से १४ फरवरी तक मानाया जा रहा है। शारजाह के १२ स्थल इसके लिये चुने गए हैं। ९ स्थल शारजाह शहर में हैं और ३ समंदर के किनारे शहर से बाहर। शहर के भीतर जहाँ यह उत्सव चल रहा है वे स्थल हैं- कल्चरल पैलेस, शारजाह मस्जिद, गोल्ड सूक, कनतल कसबा, अल मगफिरा मस्जिद, कुरान गोल चौराहा, शारजाह हिस्न (शारजाह के शासक का प्राचीन अरब शैली में निर्मित पुराना घर जो शहर के बीच में है), अल नूर मस्जिद और शारजाह इस्लामिक संग्रहालय। शहर के बाहर के ये स्थल खोरफकान, कलबा और दिब्बा में है। ये स्थल पिकनिक स्पाट के रूप में विकसित किये गए हैं। आज से २० साल पहले ये स्थल निर्जन से हुआ करते थे। लेकिन अब यहाँ पाँच सितारा होटल बन गए हैं, आकर्षक प्रकाश स्तंभों वाली सड़कें हैं (सड़कें तो पहले भी थीं पर वे अब काफी सुंदर हो गई हैं।) और पर्यटकों के आकर्षण की अन्य सुविधाएँ है।

रात के ७ बजे से ११ बजे तक जब यह उत्सव होता है लोग पहले से आकर अपना स्थान ग्रहण करने लगते हैं। कुछ स्थलों पर लोगों के बैठने के लिये अतिरिक्त बेंचों की व्यवस्था भी की गई है। शारजाह हिस्न ऐसी ही जगह है। बहुत पहले से आकर लोग यहाँ जम जाते हैं। यह स्थल शहर के बीच है और यहाँ काफी रोशनी रहती है। लेकिन जैसे ही रोशनियाँ कम होनी शुरू होती हैं लोग अपनी कारें धीमी कर देते हैं और रोशनी देखने के लिये निर्दिष्ट स्थानों पर कार पार्क करने लगते हैं। पिछले साल यहाँ पर शारजाह के इतिहास और वन्य जीवन के विषय में ध्वनि और प्रकाश की एक प्रस्तुति हुआ करती थी। शारजाह एक ऐसा शहर है जहाँ ५० साल से पुराना शायद ही कुछ है, कोई वन भी आजतक मेरी नजर में नहीं आया। लेकिन जो भी उनके पास है उसे यहाँ की सरकार ने बहुत प्रेम से सहेजा है और पर्यटकों को आकर्षित करने के लिये उसको पूरी तरह से चाक चौबस्त रखते हैं। ऐसे अवसरों पर अपने देश की याद हो आना स्वाभाविक है, जहाँ इतिहास, संस्कृति और सभ्यता की समृद्धि को हम कुछ भी नहीं समझते हैं।

इस साल हम अभी तक प्रकाश उत्सव देखने नहीं गए हैं। शायद सोमवार को यह अवसर मिल जाए। समाचारों में बताया गया है कि इस बार उत्सव मे बिजली की बचत के लिये हर जगह एलईडी लाइटों का ही प्रयोग किया गया है। शारजाह प्रकाश उत्सव की इस साल की कोई नई वीडियो फिल्म मुझे यू ट्यूब पर नहीं मिली। लेकिन पिछले साल प्रकाशित किये गए इस वीडियो से उत्सव का कुछ अंदाज मिल सकता है। कुछ अच्छे चित्र प्रकाश उत्सव की आधिकारिक वेब साइट पर यहाँ भी देखे जा सकते हैं। ऊपर के चित्र को अगर क्लिक करें तो इसका बड़ा आकार देखा जा सकता है।
 

पूर्णिमा वर्मन
१० फरवरी २०१४

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