कलम गही नहिं हाथ
शुभ दीपावली!
दीपावली की शुभ कामनाओं के साथ लंबे अंतराल
के बाद फिर से यह स्तंभ लिखते हुए अच्छा लग रहा है। यह दीपावली भारतीय
साहित्य कला और दर्शन के क्षेत्र में विकास के नये सोपान चढ़े, जनजीवन
सुखमय हो, बिखरते हुए वैचारिक - समाजिक मतभेदों में सामंजस्य
बने, अलगाववादी ताकतों की हार हो तथा देश प्रेम और देश पर मर मिटने की
भावना पुष्ट हो यही मंगलकामना है।
इस अंक के साथ प्रस्तुत हैं दो दीपावली
उपहार अभिव्यक्ति की ओर से। पहला उपहार है जयनंदन की कहानियों का
पीडीएफ संग्रह जिसे डाउनलोड परिसर से मुफ़्त डाउनलोड किया जा सकता है
तथा दूसरा उपहार है गोपालकृष्ण भट्ट आकुल की वर्ग पहेली जिसका तकनीकी
संस्करण तैयार किया है रश्मि आशीष ने।
जयनंदन अभिव्यक्ति के साथ भारत से जुड़ने वाले सबसे पहले कथाकार हैं।
उनकी कहानियाँ अपने सहज – संवेदनशील कथानकों के कारण पाठकों में निरंतर
लोकप्रिय बनी रही हैं। इस संग्रह में अभिव्यक्ति में प्रकाशित उनकी दस
कहानियों को संकलित किया गया है। पीडीएफ संस्करणों की शृखला में यह
चौथा संग्रह है। इसके पहले तेजेन्द्र शर्मा व सुषम बेदी की कहानियों
तथा महेन्द्र भटनागर के गीतों के संग्रह जारी किये जा चुके हैं इन सबको
डाउनलोड परिसर से मुफ़्त पाया जा सकता हैं।
वेब पर हिंदी में पहली बार अभिव्यक्ति-वर्ग पहेली लेकर आ रहे हैं भारत
के वर्ग पहेली विशेषज्ञ गोपालकृष्ण आकुल। इस वर्ग पहेली को हमारी
तकनीकी विशेषज्ञ रश्मि आशीष ने अत्यंत रोचक, आकर्षक और सरल रूप प्रदान
किया है। साहित्य और तकनीक के इस संयुक्त प्रयास को पाठकों तक पहुँचाने
के लिये हम टीम की ओर से इन दोनों सहयोगियों का हार्दिक आभार प्रकट
करते हैं।
दीपावली सबके लिये मंगलमय हो एक बार फिर
इसी कामना के साथ,
पूर्णिमा वर्मन
१ नवंबर २०१०
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