कलम गही नहिं हाथ
मौसम पर छाया वसंत
जीवन की आपाधापी में वसंत कब आता है और कब
चला जाता है उसका पता ही नहीं चलता। यों भी विदेश में वसंत का मौसम कहीं
भारत से पहले और कहीं भारत
से कुछ बाद ही शुरू होता है। पर्वों में भी वह मिठास नहीं घुल पाती जो कभी
भारत में घुलती थी। भारत के महानगरों में भी वसंत अब गुपचुप ही प्रवेश
करता है और कुछ साहित्यिक संस्थानों से गुज़रता हुआ पुष्प प्रदर्शनियों
तक जाकर समाप्त हो जाता है। भारत में वसंत और वसंतोत्सव की एक मास लंबी
सांस्कृतिक परंपरा है। उसको याद करते हुए और उसी उत्सवधर्मिता में डूबकर
इस बार अभिव्यक्ति और अनुभूति के पृष्ठों को वसंत से सजाने के लिए सभी
पाठकों का हार्दिक स्वागत हैं।
२० जनवरी को वसंत पंचमी बीती है और १४
फरवरी से फाल्गुन मास का प्रारंभ हो रहा है। १ मार्च को होली है। इस
वसंती मौसम को साहित्य में समेटने और वेब पर बिखेरने के लिए अभिव्यक्ति
और अनुभूति द्वारा २ विशेषांकों का आयोजन किया गया है। १५ फरवरी को वसंत
विशेषांक और १ मार्च को होली विशेषांक का प्रकाशन होगा। इन विशेषांकों
में भाग लेने के लिए सभी लेखकों व पाठकों की ओर से कहानी, लघुकथा, प्रेरक
प्रसंग, व्यंग्य, ललित निबंध, साहित्यिक निबंध, जानकारी पूर्ण आलेख
तथा हर विधा की कविताएँ आमंत्रित की जाती हैं। १५ फरवरी को प्रकाशित होने
वाले वसंत विशेषांक के लिए रचनाएँ नीचे दिये गए पते पर ७ फरवरी तक तथा १
मार्च को प्रकाशित होने वाले होली विशेषांक के लिए २० फरवरी तक अवश्य मिल
जानी चाहिए। रचनाओं का विषय निश्चित रूप से विशेषांक के अनुरूप वसंत या
होली होना चाहिए। किसी और विषय पर लिखी गई रचनाओं को विशेषांक में
सम्मिलित करना संभव नहीं होगा। कहानी पूरी तरह से वसंत या होली के चारों
ओर बुनी गई हो यह आवश्यक नहीं है लेकिन उसमें वसंत या होली का कोई दृश्य
या सार्थक प्रयोग होना आवश्यक है। रचनाएँ अप्रकाशित हों यह आवश्यक नहीं
है लेकिन वेब पर वे किसी अन्य साइट पर पहले से उपस्थित नहीं होनी चाहिए।
वसंत की यह ऋतु समस्त विश्व में सुख,
सौभाग्य और उल्लास लेकर आए। साहित्य और संस्कृति के सुख से समृद्ध हर
दिशा में सफल हमारे पाठकों के दल वेब की फुलवारी में झूमें मुसकाएँ इसी
शुभकामना के साथ-
पूर्णिमा वर्मन
१ फरवरी २०१०
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