कलम गही नहिं हाथ
कजरारी आँखों का रहस्य
कजरारी आँखों की दुनिया कायल है उस पर अरबी
सुरमें में डूबी धुआँ धुआँ आँखों का जवाब नहीं उस पर भी आँखें अगर
क्लियोपेट्रा की हों तो दुनिया जहान के साथ सौदर्य., स्वास्थ्य और फैशन
की दुनिया के सारे वैज्ञानिकों का जीना हराम हो जाना स्वाभाविक ही है।
हाल में हुई खोजों के आधार पर वैज्ञानिकों का कहना है कि वे इन
धुआँ धुआँ आँखों का 4000 साल पुराना राज खोलने में सफल हो गए हैं।
लंदन से मिले एक समाचार
के अनुसार फ्रेंच शोध में पता चला है कि क्लियोपेट्रा की आँखों पर लगाए
जाने वाले प्रसाधन केवल आँखों का सौंदर्य ही नहीं बढ़ाते थे बल्कि
स्वास्थ्य भी दुरुस्त रखते थे। विशेषज्ञों का कहना है कि क्लियोपेट्रा की
आँखों में लगाया जाने वाला कजरा आँखों को हर प्रकार के संक्रमण से बचाने
की शक्ति देता था। एनालिकल केमेस्ट्री नामक एक पत्रिका का कहना है कि इस
प्रसाधन में पाया जानेवाला लेड सॉल्ट आँखों के रोगों के विरुद्ध
प्रतिरोधक का काम करता है। लूव्र के शोधार्थियों का विश्वास है कि अरबी
आँखों का यह विन्यास शोभा के साथ साथ स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखता था।
प्राथमिक स्तर पर लेड साल्ट से नाइट्रिक एसिड का जन्म होता है यह एसिड
आँखों के उस प्रतिरोधक तंत्र को मजबूत बनाता है जो आक्रामक बैक्टीरिया से
लड़ने का काम करता है। संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि प्राचीम मिस्र
के लोग इस प्रकार के लेड का निर्माण करते थे जो आँखों पर आक्रमण करने
वाले रोगों के बैक्टीरिया के विरुद्ध प्रतिरोधक शक्ति का विकास करता था।
ऐसा विश्वास भी किया जाता है कि लेड सल्फ़ाइट में पाए जाने वाले जिस
गलीना नामक खनिज का प्रयोग भी आँखों के प्रसाधन में किया जाता था, वह
रोगाणुरोधक तो था ही इसमें मक्खियों को दूर रखने की क्षमता थी और यह
आँखों को धूप से सुरक्षित भी रखता था।
सोचती हूँ दीपावली की
रात में, घी के दीपक में कपूर डालकर, हल्दी की गाँठों के बीच सूत की बाती
के ऊपर चाँदी की कटोरी में पारे गए काजल में भी कुछ खास बातें रही होंगी
जिन्हें हम आज बेवकूफ़ी समझकर त्याग चुके हैं। मन होता है कि इस विषय में
लंदन, पेरिस और लूव्र से छपने वाले किसी भी वैज्ञानिक जरनल से पहले भारत
में स्थित वैज्ञानिक संस्थाओं द्वारा प्रकाशित होने वाले किसी जरनल में
यह बात प्रकाशित हो और उसी प्रकार दुनिया भर के समाचारों के मुखपृष्ठ का
हिस्सा बने जैसे आज यह खबर बनी हुई है।
पूर्णिमा वर्मन
११
जनवरी २०१०
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