कलम गही नहिं हाथ
स्वतंत्रता दिवस की
शुभकामनाएँ
और अभिव्यक्ति के
जन्मदिन का उत्सव
स्वतंत्रता दिवस की अनेक शुभकामनाएँ! अमर रहे
गणतंत्र हमारा! हमारी भाषा, साहित्य व संस्कृति
का विकास हो और विदेशी भाषा न जानने के कारण किसी भी भारतीय के शैक्षिक व
आर्थिक विकास में किसी प्रकार की कोई बाधा न आए। इस स्वतंत्रता दिवस पर
इसी संकल्प की ओर हमें बढ़ना चाहिए।
स्वतंत्रता दिवस के साथ ही आती है
अभिव्यक्ति की वर्षगाँठ! आज अभिव्यक्ति अपने कार्य काल के नौ वर्ष पूरे कर
दसवें वर्ष में कदम रख रही है। १५ अगस्त २००० को इसका पहला अंक मासिक
पत्रिका के रूप में प्रकाशित हुआ था। १ जनवरी २००१ से यह पाक्षिक बनी। १
मई २००२ से यह माह में चार बार १-९-१६ और २४ तारीख को प्रकाशित होने लगी।
लंबे समय तक इसी स्थिति में रहने के बाद १ जनवरी २००८ से यह साप्ताहिक
रूप में हर सोमवार को प्रकाशित होती है। आज वेब पर हिन्दी पत्रिकाओं की
भरमार के बावजूद हमारे पाठकों की संख्या में विस्तार हो रहा है यह उत्साह
की बात है। पत्रिका की टीम का सबसे बड़ा हिस्सा तो पाठक ही होते हैं
इसलिए इस शुभ अवसर पर सभी पाठकों को हार्दिक धन्यवाद जिनके निरंतर स्नेह
से आज हम यहाँ पहुँचे हैं। यह आपकी पत्रिका है और उसको स्तरीय बनाए रखने
में आपका सहयोग महत्वपूर्ण है। किसी भी क्षेत्र में कुछ सहयोग
या सुझाव देना चाहते हैं तो आपका सदा स्वागत है। टीम में मेरे विनम्र और कर्मठ
स्थायी सहयोगी प्रो. अश्विन गांधी और दीपिका जोशी के सतत
प्रयत्नों के बिना इस पत्रिका के साथ इतना लंबा चलना संभव नही था। उनके
लिए धन्यवाद या आभार शब्द बहुत छोटे हैं फिर भी मेरा हार्दिक आभार।
प्रार्थना है कि सब सदा साथ रहें और इस यज्ञ में अग्नि प्रज्वलित रखें।
वर्षगाँठ के इस उत्सव पर हम पाठकों के लिए
कुछ विशेष उपहार लाने वाले हैं। हमारे सहयोगी आशीष खंडेलवाल के प्रयत्नों से
'आज का विचार' इस
अंक से नए प्रारूप में प्रस्तुत है। अब जितनी बार पत्रिका अपलोड होगी हर बार नया
विचार दिखाई देगा। इस वर्ष हम सबकी प्रिय कथा लेखिका सुषम बेदी ने
अभिव्यक्ति में दस कहानियाँ पूरी की हैं। कथा-प्रेमी पाठकों
के लिए अगले अंक में प्रस्तुत करेंगे उनकी कहानियों का एक आकर्षक पीडीएफ़ संग्रह। इसे डाउनलोड परिसर
से मुफ़्त डाउनलोड किया जा सकेगा है। अभिव्यक्ति के रंगरूप में भी कुछ परिवर्तन
किए गए हैं।
आकार को लंबाई में थोड़ा कम और चौड़ाई में बढ़ाया गया है जिससे पृष्ठ को
ज्यादा नीचे तक न ले जाना पड़े। नया अंक तीन में से बीच के कॉलम में है।
पुराना दाहिनी ओर तथा मनोरंजन और जानकारियाँ बिलकुल बाएँ स्तंभ में है। आशा है पाठक इन
परिवर्तनों के संबंध में अपनी राय और सुझाव भेजते रहेंगे।
पूर्णिमा वर्मन
१० अगस्त २००९
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